उत्तर प्रदेश के कानपुर में किसी को पानी खरीदकर पीना नहीं पड़ता था। जगह-जगह लगे प्याऊ और हैंडपंप लोगों की प्यास बुझा देते थे। इसके उलट गंगा किनारे बसे इस शहर में पानी का कारोबार भी फलफूल रहा है। पानी का कारोबार करने वाली कंपनियों के आंकड़ों की मानें तो रोजाना एक करोड़ रुपये का पानी शहरी खरीदकर पी जाते हैं। शादी-समारोह होने पर 10 फीसदी मांग और बढ़ जाती है।आरओ वाॅटर के साथ ही सोडा वॉटर भी बनाया जाता है। यहां के उत्पादों की सप्लाई कानपुर के अलावा आसपास के जिलों में है। कारोबारियों ने बताया कि कोविड के बाद से बोतलबंद पानी की मांग बढ़ गई है। पहले प्लास्टिक गिलास में पानी का चलन बढ़ा था, लेकिन प्लास्टिक बैन के होने के चलते अब छोटी बोतलों की मांग अच्छी है। जानकारों ने बताया कि 2017-18 में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 3000 हजार बैग पानी की बोतल बिकती थी। गैर संगठित सेक्टर से दो हजार बैग पानी बिकता था। एक बैग में आधा लीटर की 24 और एक लीटर की 12 बोतल आती हैं।इसी तरह पांच सौ बैग पानी के पाउच और 2500 प्लास्टिक गिलास और छह हजार जार पानी बिक रहा था। 2019 में आए कोरोना के चलते छोटे वाटर प्लांटों पर बंदी की स्थिति आ गई। कोरोना के बाद लोगों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ने से बोतल बंद पानी की मांग तेजी से बढ़ी है। 2021-22 में मल्टीनेशनल कंपनियों के 15 हजार बैग पानी की बोतल बिकने लगी हैं। गैर संगठित सेक्टर का पांच हजार पानी का बोतल बाजार में आ रहा था। इसके अलावा अब बाजार में एक लाख से ज्यादा बैग पानी, 25 हजार जार प्रतिदिन शहर में पानी बिक रहा है।