उत्तर प्रदेश के कानपुर के चकेरी गांव निवासी किसान बाबू सिंह की आत्महत्या के मामले में फरार मुख्य आरोपी डॉ. प्रियरंजन आशु दिवाकर सोमवार को अपनी मां उर्मिला प्रकाश के अंत्येष्टि में भी शामिल होने नहीं पहुंचा। छोटे भाई की नामौजूदगी में उसके मझले भाई विश्वजीत ने मां उर्मिला प्रकाश को पुलिस की मौजूदगी में सिद्धनाथ घाट पर मुखाग्नि दी। इस दौरान सादे कपड़ों पर पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम भी मौजूद रही। आशु दिवाकर की मां उर्मिला प्रकाश (70) का रविवार सुबह उनके चकेरी के श्यामनगर स्थित आवास पर निधन हो गया था। परिजनों ने आरोप था कि कुर्की की नोटिस जारी होने से उन्हें सदमा लगा और उनकी मौत हो गई। इधर मां की मौत की सूचना पर आशु दिवाकर की गिरफ्तारी के पुलिस की टीम सादे कपड़ों में घर के आस पास तैनात रही। पुलिस लगातार आशु दिवाकर पर नजर गड़ाए रही। सूत्रों के अनुसार पिछले 24 घंटे से पुलिस अधिकारियों की नजर आशु पर है। सोमवार सुबह करीब 11.30 बजे आशु की मां के शव को घर से उठाया गया। इसके बाद परिजनों और रिश्तेदार उनका शव लेकर सिद्धनाथ घाट पहुंचे, जहां विश्वजीत ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान विश्वजीत पहली बार मीडिया से रूबरू होकर अपने भाई को बेगुनाह बताते हुए मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि बेगुनाह होते हुए भी पुलिस ने उनके भाई को अपराधी साबित कर एक लाख रुपये का इनाम रख दिया। बुजुर्ग माता पिता, महिलाओं और बच्चों को बंधक बना अपराधियों जैसा बर्ताव किया। विरोध पर विधवा भाभी से अभद्रता की गई। महिला दरोगा द्वारा तमाचा भी मारा गया। मैनपुरी में पति ने दिलाई भाजपा को दो सीटें, अब सबने हाथ खड़े किए आशु की भाभी रेनू ने अमर उजाला के संवाददाता से बातचीत कर बताया कि उनके देवर आशु मैनपुरी के चर्चित युवा नेता हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह भी उन्हें बहुत मानते थे। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने सपा के गढ़ में अपने दम और मेहनत पर भाजपा का दो सीटें दिलवाई। इसके चलते सपा के लोग भी उनके पीछे पड़ गए। परिजन जब आशु की बेगुनाही लेकर भाजपा के बड़े नेता के पास पहुंचे, तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए।