कन्नौज समाचार उत्तर प्रदेश के कन्नौज मे सुब्रत पाठक के सांसद बनने के बाद से ही जिले में सपा की सियासी जमीन सिकुड़नी शुरू हो गई। लोकसभा चुनाव के बाद हुए पंचायत चुनाव में जिले के आठों ब्लॉकों में एक साथ पहली बार भाजपा के प्रमुख बने। उसके बाद जिला पंचायत में सदस्यों की कम संख्या होने के बावजूद सियासी दांवपेंच से सपा को पटखनी देते हुए अध्यक्ष पद पर पहली बार भाजपा का कब्जा करवाने में भी सुब्रत पाठक की अहम भूमिका रही। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों सीट पर सपा को शिकस्त देकर जिले से सपा का सफाया हो गया। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर संगठन ने फिर से सुब्रत पाठक पर ही भरोसा जताया है।
सुब्रत पाठक भाजपा की युवा इकाई भाजयुमो के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। उसके बाद भाजपा के जिलाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2009 के चुनाव में अखिलेश यादव के मुकाबले तीसरे नंबर पर रहे थे। पार्टी ने उनपर भरोसा रखा और निकाय चुनाव में उनकी मां सरोज पाठक को पालिकाध्यक्ष का टिकट दिया और वह जीत गईं। वर्ष 2014 के चुनाव में डिंपल यादव से कड़े मुकाबले में शिकस्त के बावजूद पार्टी ने उन्हें भाजयुमो का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उसके बाद प्रदेश संगठन में मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी