उज्जैन में नववर्ष प्रतिपदा एवं उज्जयिनी गौरव दिवस की चलने वाली रंग प्रदर्शनी में राजा विक्रमादित्य के साथ-साथ ऋषियों के वैज्ञानिक योगदान को रेखांकित किया गया है।
वर्ष प्रतिपदा एवं उज्जयिनी गौरव दिवस (22 मार्च 2023 तक) तक चलने वाली रंग प्रदर्शनी में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा तैयार विक्रमादित्य, भारतीय ऋषि वैज्ञानिक, वृहत्तर भारत का सांस्कृतिक वैभव तथा अश्विनी शोध संस्थान, महिदपुर की विक्रमकालीन मुद्रा एवं मुद्रांक प्रदर्शनी को प्रदर्शित किया गया है।
सम्राट विक्रमादित्य के जीवन पर केन्द्रित प्रदर्शनी विक्रमादित्य में 50 से अधिक चित्रों को संकलित किया गया है। इसमें विक्रमादित्य को शक विजेता, संवत प्रवर्तक, वीर, न्यायप्रिय, प्रजावत्सल दिखाया गया है। इस शृंखला में दूसरी प्रदर्शनी भारतीय ऋषि वैज्ञानिकों पर आधारित है। विश्व में भारत के सांस्कृतिक वैभव के अवशेषों को छायाचित्रों के माध्यम से सामने लाने का काम भोपाल के प्रवीण कुमार पटोद द्वारा किया गया है। कोई 113 छायाचित्रों को संकलित कर उन्होंने यह प्रदर्शनी तैयार की है। इसमें 20 से अधिक देशों के मंदिर शामिल है। इन सबके बीच एक प्रदर्शनी विक्रमकालीन मुद्रा एवं मुद्रांक की भी है जो उस काल की मुद्राओं तथा मुद्रांक पर आधारित है। अश्विनी शोध संस्थान, महिदपुर के इस संग्रह में ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी से लगाकर वर्तमान की मुद्राओं का एक बेहद दर्शनीय संग्रह मौजूद है। उज्जयिनी के लोगों के लिए यह प्रदर्शनी रोजाना सुबह 11 से रात 8 बजे तक अवलोकनार्थ खुली रहेगी। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर कोई 79 चित्रों को देशभर के चित्रकारों ने तैयार किया है। यह प्रदर्शनी भारतीय ऋषियों द्वारा दिए गए वैज्ञानिक योगदान को बताती है। यह स्पष्ट करती है कि भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा कितनी समृद्ध थी।