उत्तर प्रदेश के झांसी। जिले के आठों ब्लाकों में एक-एक मॉडल औद्यानिक गांव विकसित किया जाएगा। इन गांवों के किसानों को परंपरागत खेती की जगह आज की मांग के अनुरूप फसल करने के लिए जागरूक किया जाएगा। पॉली हाउस, पैकिंग हाउस स्थापित करने के साथ ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई जाएगी। ताकि किसान अपनी उपज की खुद पैकेजिंग करके उसे बाजार तक पहुंचा सकें।किसानों की आय बढ़ाने और गांवों में औद्यानिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शासन ने मॉडल औद्यानिक गांवों को विकसित करने की योजना बनाई है। इसके तहत इन गांवों के किसानों को सब्जी, फल, फूल, मसाला की खेती के लिए जागरूक किया जाएगा। इससे होने वाले फायदे बताए जाएंगे। गांव में ही उद्यान विभाग इन फसलों को सुगमता से करने के लिए सिंचाई की व्यवस्था कराएगा। बीज से लेकर खाद तक उपलब्ध कराएगा। पहले चरण में हर ब्लाक के एक गांव का इसके लिए चयन किया गया है। योजना अगर कारगर साबित हुई तो इसे और गांवों में भी आगे बढ़ाया जाएगा।अगेती फसल से किसान कमाएंगे मोटा मुनाफा
उद्यान विभाग पाली हाउस में गोभी, बंद गोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, मटर, पपीता, तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी की पौध तैयार करके इन्हें अगेती खेती के लिए किसानों को उपलब्ध कराएगा। ताकि फसल को समय से पहले तैयार करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकें। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि हरी मटर की जो फसल अक्तूबर में बाजार में आती है उसकी कीमत 100 रुपये किलो तक होती है। ऐसे इसलिए है क्योंकि किसान इसकी अगेती फसल करता है और समय से पहले ही उपज को बाजार में ले आता है। जबकि बाद में मटर की फसल करने वाले किसानों को अपनी उपज 20-30 रुपये किलो में ही बेचनी पड़ती है। किसानों को ऐसी ही फायदे वाली फसलें कराने पर जोर रहेगा।