उत्तर प्रदेश के झांसी। सरकारी स्कूलों में छात्रांकन बढ़ाने के लिए शिक्षकों ने छह हजार बच्चों का फर्जी प्रवेश करा दिया। इन बच्चों को सरकार की ओर से मिलने वाली ड्रेस, जूते-मोजे, स्वेटर, बैग के लिए 1100 रुपये भी दे दिए गए। शिक्षक इन बच्चों को कागज पर ही उत्तीर्ण करते रहे और अगली कक्षाओं में फर्जी प्रवेश देकर शिक्षा व्यवस्था का मजाक बनाते रहे। यू डायस पोर्टल पर जब बच्चों का आधार लिंक किया गया तो सभी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते मिले। जांच में यह भी पता चला कि बच्चे कभी स्कूल आए ही नहीं। जबकि शिक्षक उनको सभी सुविधाओं का लाभ देकर सरकार को चूना लगाते रहे। प्रदेश सरकार हर साल एक अप्रैल को स्कूल चलो अभियान चलाती है। अभियान के तहत शिक्षक अपने स्कूल क्षेत्र के गांवों में घर-घर जाकर अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही बच्चों का दाखिला परिषदीय स्कूलों में कराते हैं। अभियान के दौरान शिक्षक को अधिक से अधिक छात्रांकन अपने स्कूल में करना होता है। छात्रांकन कम होने पर शिक्षक की जवाबदेही तय होती है। साथ ही विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो जाते हैं। इसलिए शिक्षक निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का नाम भी सरकारी स्कूल में लिख लेते हैं। झांसी मंडल में शिक्षकों ने स्कूलों में 6047 बच्चों का फर्जी प्रवेश करा दिया। यू डायस पोर्टल ने शिक्षकों के इस फर्जीवाड़े को उजागर कर दिया। पोर्टल पर मंडल में पंजीकृत 9,43,383 बच्चों में से 3,18734 बच्चों के आधार कार्ड लिंक किए गए हैं। आधार लिंक होने के बाद 6047 बच्चे ऐसे मिले, जिनका दो स्कूलों में नाम लिखा था। ये बच्चे निजी स्कूल में पढ़ने जाते हैं और सरकारी योजना का लाभ परिषदीय स्कूल से ले रहे थे। बताया जाता है कि पोर्टल पर अभी 33 फीसदी बच्चाें का डाटा ही सत्यापित हुआ है। पूरा डाटा फीड होने के बाद दो जगह पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 10 से 12 हजार हो सकती है। बच्चों का नाम दो स्कूलों में मिलने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग भी सतर्क हो गया है। जिन स्कूलों के बच्चों के नाम दो जगह मिले हैं, उनको चिह्नित किया जा रहा है। बताया जाता है कि ऐसे मामलों की विभाग जांच कराने की तैयारी में है।