कन्नौज समाचार उत्तर प्रदेश के कन्नौज मे इस बार भी लोक सभा चुनाव मे कांग्रेस का हाथ गायब ही दिख रहा हे क्योकि कई सालो से साइकिल ही दौड़ती आ रही हे सपा से गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के हिस्से में नहीं है। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट से 40 साल पहले 1984 में जीत मिली थी। तब शीला दीक्षित पहली बार सांसद बनी थीं। दरअसल रायबरेली और अमेठी में सपा की ओर से प्रत्याशी नहीं उतारे जाने के बदले में कांग्रेस भी यहां अपना उम्मीदवार उतारने से परहेज करती रही है। इस बार तो बाकायदा गठबंधन है। इससे पहले 2004 के चुनाव में कांग्रेस का उम्मीदवार यहां सामने आया था। काफी समय से संगठन के पेच कसने में जुटे कांग्रेस पदाधिकारी गठबंधन में सीट जाने से मायूस हैं।
हालांकि कांग्रेस के प्रदेश सचिव विजय मिश्र कहते हैं कि कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता उत्साहित हैं। वह गठबंधन के उम्मीदवार को जिताने में पूरा जोर लगाएंगे। सन् 1967 के लोकसभा चुनाव से अस्तित्व में आई कन्नौज लोकसभा सीट के लिए अब तक हुए चुनाव में सिर्फ दो ही बार ऐसा मौका आया है, जब कांग्रेस को यहां कामयाबी मिली है। उसे पहली जीत वर्ष 1971 के चुनाव में मिली थी, तब पार्टी उम्मीदवार एसएन मिश्र सांसद चुने गए थे। उन्होंने तब जनसंघ के उम्मीदवार रामप्रकाश त्रिपाठी को शिकस्त दी थी। दूसरी बार कामयाबी 1984 के चुनाव में मिली थी। तब पार्टी के टिकट पर शीला दीक्षित ने तत्कालीन संसद व लोकदल के प्रत्याशी छोटे सिंह यादव को हराया था। लेकिन अगले ही चुनाव 1989 में उन्होंने शीला दीक्षित से यह सीट छीन ली थी। पुलिस मामले कि जांच कर रही हे