मध्य प्रदेश के इंदौर के आदिवासियों के आराध्य टंट्या मामा की प्रतिमा लगाने पर वन विभाग ने आपत्ति ले ली है। प्रतिमा गंधवानी विधानसभा के तिरला क्षेत्र में स्थापित की गई है। जननायक टंट्या मामा की प्रतिमा लगाने पर आई इस आपत्ति से आदिवासी भड़के हुए हैं। एक ओर जहां वन विभाग ने ग्रामीणों से कहा है कि जहां प्रतिमा लगी है वह जमीन वन विभाग की है वहीं दूसरी ओर आदिवासी इस मामले में बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। तिरला ब्लॉक के ग्राम सेमलीपुरा की मिया पहाड़ी पर 30 जुलाई को जननायक क्रांतिकारी टंट्या मामा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। प्रतिमा का लोकार्पण गंधवानी से कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने किया था। इसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। इस आयोजन के दो दिन बाद वन विभाग ने इस मामले में समाजजनों और आयोजनकर्ताओं को तलब कर आपत्ति दर्ज करवा दी। विभाग का कहना था कि प्रतिमा लगाने के लिए विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई। ऐसे में वन विभाग की आपत्ति के बाद मंगलवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण धार वन विभाग के जिला कार्यालय पर पहुंचे। यहां पर डीएफओ से मुलाकात की। डीएफओ मयंक गुर्जर ने इस मामले में जांच करवाने की बात कही है। वहीं आदिवासियों का कहना है कि यहां पर पहले से मंदिर है। जननायक टंट्या मामा आदिवासी वर्ग के लिए आराध्य हैं। इसलिए वहां पर उनकी प्रतिमा लगाई है। प्रतिमा लगाने से पहले ठहराव प्रस्ताव भी ग्राम सभा में पास किया गया है। इस आयोजन की तैयारियां एक पखवाड़े से चल रही थी लेकिन प्रतिमा लगने के बाद वन विभाग अब जमीन को लेकर पूछ रहा है। विभाग अब जांच करवाने की बात कह रहा है। साथ ही अतिक्रमण के भी नजरिए से देखा जा रहा है। टंट्या मामा ने अंग्रेजों से लोहा लिया और वे गरीबों और आदिवासियों के शुभचिंतक थे। वे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर उसे गरीबों में बांट दिया करते थे। एक करीबी ने उन्हें धोखा दिया और उन्हें अंग्रेजों ने फांसी दे दी। जल-जंगल और जमीन के लिए भी उनके संघर्ष को याद किया जाता है। उनकी वजह से अंग्रेज आदिवासी क्षेत्रों में आने से खौफ खाते थे।