हिमाचल प्रदेश के शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने पर विचार हो रहा है। इस संबंध में जानकारियां जुटाने के लिए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता वाली कमेटी चार देशों का दौरा करेगी। इन देशों में चिकित्सा उद्देश्य से भांग की खेती होती है। इस कमेटी के प्रदेश और अन्य राज्यों में किए गए दौरों को लेकर प्रारंभिक रिपोर्ट शुक्रवार को सदन में रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में एनडीपीएस एक्ट के तहत भांग की खेती की जा रही है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भांग से दवाएं बन रही हैं। शिमला, चंबा, कांगड़ा और मंडी में अवैध तौर पर अभी भांग की खेती हो रही है।गुरुवार को विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने भांग की खेती से जुड़ा मामला उठाया। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि भांग की खेती को कानूनी रूप देने के संबंध में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी उत्तराखंड राज्य के दौरे पर भी गई थी। उन्होंने कहा कि भांग की खेती उत्तराखंड में की जाती है। चंबा, कांगड़ा, ऊना, सोलन, कुल्लू सहित अन्य जिलों में पंचायती राज संस्थानों के साथ बैठकें की गई है। कमेटी ने मध्य प्रदेश का भी दौरा किया था। सरकार इसके सभी कानूनी पहलुओं पर जानकारी प्राप्त कर रही है। ग्वालियर में जहां भांग से दवाई बनाई जाती है वहां का दौरा भी किया गया है। श्रीनगर का दौरा भी किया गया। उन्होंने कहा कि इसराइल, नीदरलैंड, कनाडा भांग की खेती और इसके उत्पाद तैयार करने में बहुत आगे हैं। कमेटी इन देशों का दौरा करेगी। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि भांग की खेती पहले भी होती थी। जब इसे कानूनी रूप देंगे तो नशे का प्रचलन बढ़ने की आशंका है। कमेटी ने जब जिलों का दौरा किया था तो सोशल मीडिया पर लोगों की निगेटिव प्रतिक्रियाएं आईं थी। केवल यही पहलू नहीं देखना चाहिए कि इससे राजस्व बढ़ेगा अन्य पहलुओं को देखना भी जरूरी है।