ऑनलाइन ठगी करने वाले स्कैमर्स के पास आपके बैंक डिटेल्स से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग की आदतों तक की पूरी जानकारी कैसे पहुंचती है? दरअसल, वे आपकी डिजिटल मौजूदगी पर नजर रखते हैं और उसी के आधार पर एक जाल बिछाते हैं, जिसमें फंसना आसान हो जाता है।
‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम: एक नई साइबर ठगी
इन दिनों भारत में ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें लोग इसे कानूनी प्रक्रिया समझकर लाखों रुपये गवां रहे हैं। हाल ही में, ड्रग्स और अपराध पर अमेरिकी कार्यालय (दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत) ने इस पर शोध किया और पाया कि ये साइबर अपराधी अब एक संगठित उद्योग की तरह काम कर रहे हैं।
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) के क्षेत्रीय विश्लेषक जॉन वोजिक ने कहा कि अब अपराध का एक नया मॉडल उभर रहा है – “Crime as a Service”। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्रिप्टोकरेंसी और अंडरग्राउंड ऑनलाइन बाजार का इस्तेमाल करके ठगी को आसान बनाया जा रहा है।
आपकी जानकारी स्कैमर्स तक कैसे पहुंचती है?
पहले स्कैमर्स सिर्फ रैंडम फोन नंबर डायल करते थे या चोरी किए गए डेटाबेस का इस्तेमाल करते थे। लेकिन आज, नाम और नंबर की लिस्ट खरीदना बेहद सस्ता और आसान हो गया है।
- स्कैमर्स हर महीने एक छोटी सी रकम देकर इन लिस्ट्स की मेंबरशिप लेते हैं, जो हर कुछ महीनों में अपडेट होती रहती है।
- हमारी बहुत सी जानकारी पहले से ही इंटरनेट पर उपलब्ध है और इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि से नाम, पते, ईमेल और अन्य जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं।
- मोबाइल ऐप्स को हमारे फोन के कॉन्टैक्ट्स, ईमेल, लोकेशन, इंस्टॉल किए गए ऐप्स और कैलेंडर जैसी कई संवेदनशील जानकारियों तक पहुंच होती है।
- सोशल मीडिया कंपनियां इन डेटा को पैकेज करके अन्य कंपनियों को बेचती हैं, जो इसे छांटकर और आगे बेचती हैं।
क्यों आपको ज्यादा स्कैम कॉल्स और टेक्स्ट आने लगे हैं?
अगर आपको सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने के बाद स्कैम टेक्स्ट और कॉल आने लगे हैं, तो यह कोई संयोग नहीं है। जब आप किसी ऐप या वेबसाइट पर “मैं सहमत हूं” पर टैप करते हैं, तो आप खुद अपनी जानकारी साझा करने की अनुमति देते हैं।
स्कैम से कैसे बचें?
✔ सोशल मीडिया का कम से कम इस्तेमाल करें।
✔ अपना फोन नंबर बदलें और सुनिश्चित करें कि नया नंबर पहले किसी सोशल मीडिया अकाउंट से जुड़ा न हो।
✔ अपने डेटा की ऑनलाइन उपलब्धता की जांच करें—इसके लिए अपने नाम या फोन नंबर को गूगल करके देखें।
अगर आपको लगता है कि यह सब झूठ है, तो खुद एक बार इंटरनेट पर खोजकर देखें। हो सकता है, आपकी खुद की जानकारी पहले से ही ऑनलाइन मौजूद हो!