हरियाणा के चंडीगढ़ में विद्यार्थियों को सफलता उनकी खुद की मेहनत से मिलती है, मगर इस कामयाबी के पीछे उनके माता-पिता का अहम योगदान होता है। अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए माहौल देते हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं। अभिभावकों का समर्पण, अनुशासन, मेहनत भी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का काम करती है। अमर उजाला मेधावी छात्र सम्मान समारोह के दौरान आए मेधावी विद्यार्थियों ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने अभिभावकों को दिया।झज्जर की कनुज बारहवीं में साइंस की प्रदेश में टॉपर है। कनुज के पिता जोगिंदर सिंह व मां कृष्णा कुमारी स्कूल अध्यापक हैं। पिता जोगिंदर सिंह ने बताया कि मेहनत तो बच्ची ने की है। अध्यापक होने के नाते हम लोगों ने माहौल बनाया है। नर्सरी से लेकर आज तक कनुज एक भी बार अनुपस्थित नहीं रही है। बुखार होने पर दवा देकर उसे स्कूल भेजते थे। मां कृष्णा कुमारी ने बताया कि लगातार पढ़ाई के बाद बेटी का मूड बदलने के लिए वह उसे गीत सुनाती थी, ताकि बच्ची का मूड ठीक रहे। उन्होंने बताया कि बच्ची की वजह से रिश्तेदारों के घर बहुत कम जाते थे। उन्हें घर पर ही बुला लेते थे।सिलाई-कढ़ाई कर बेटी को पढ़ाया अंबाला के बलदेव नगर की नमरा सैफी ने बारहवीं में 99 फीसदी अंक पाए। नमरा अपनी मां याशमीन व बुआ निशा के साथ कार्यक्रम में पहुंची थी। उनकी मां याशमीन ने बताया कि घर का खर्च चलाने के लिए वह सिलाई-कढ़ाई का काम करती हैं। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा। सभी को अपने खर्चें पर ही पढ़ा रही हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों की मेहनत से उन्हें खुद प्रेरणा मिलती है। बुआ निशा ने बताया कि नमरा एग्जाम के दिनों में पढ़ाई के साथ घर का काम भी करती रही है। उसे अपनी जिम्मेदारियों का पता है। आज सम्मान पाकर हम सभी बहुत खुश हैं। बेटी की उपलब्धि से सीना चौड़ा हो गया गुड़गांव से खुशी पांडे अपने पिता विष्णु कुमार पांडे के साथ आई थीं। दसवीं में जिले में उसका दूसरा स्थान रहा है। विष्णु कुमार पांडे ने बताया कि उनकी चार बेटियां हैं। सभी बेटियों को वह पढ़ा रहे हैं। खुशी ने पढ़ाई के दौरान किसी भी विषय की ट्यूशन नहीं ली। उन्होंने बताया कि बच्चों की पढ़ाई के लिए एक अभिभावक को जो त्याग करने पड़ते हैं, वह सब उन्होंने किया है। घर पर पढ़ाई का माहौल बना रहे, इसलिए वह ज्यादा कहीं जाते नहीं। आज उनकी बेटी ने जो कामयाबी पाई, उससे उनका सीना चौड़ा हो गया है चरखी दादरी की खुशबू अपनी बुआ कविता के साथ आई थी। वह बारहवीं में नॉन मेडिकल की टॉपर रही हैं। उनकी बुआ कविता ने बताया कि खुशबू के छह भाई हैं। इनमें चार भाई फौज में हैं। सिर्फ खुशबू के पिता खेती करते हैं। इसके बावजूद उनका मजबूत इरादा है कि उनकी बेटी पढ़-लिखकर फौज में अफसर बनें। एग्जाम के दौरान उनके माता-पिता ने पढ़ाई का पूरा माहौल बनाकर रखा। खुशबू भी पूरी रात पढ़ती थी। कविता ने बताया कि खुशबू के सम्मान से परिजन इतने खुश हैं कि घर वाले दो-तीन दिन से सोए नहीं हैं।सिरसा के रानिया से आईं चंचल सिंह अपनी बेटी सरकीरत कौर के साथ आए थे। सनकीरत ने कहा कि उनके पिता ने खुद पढ़ाई नहीं की है, लेकिन वह अपनी बेटी को मन से पढ़ा रहे हैं, यही बड़ी बात है। चंचल सिंह खेतीबाड़ी करते हैं। वह ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, लेकिन अब बेटी को बहुत मेहनत से पढ़ा रहे हैं। सनकीरत अब आईआईटी की पढ़ाई कर रही है। इसके लिए चंचल सिंह ने खुद से बेटी को कोचिंग करवाई। इस खास मौके पर चंचल सिंह ने बताया कि वह अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। जब तक उनकी बेटी पढ़ना चाहेगी, वह पढ़ाते रहेंगे। उन्होंने बताया कि गांव को जब पता चला कि बेटी को सीएम सम्मानित करेंगे, तब से गांव में उनकी बेटी की चर्चा है।यमुनानगर से आए अर्जुन को देखते ही खुशी बनती है। वह बेहद गरीब परिवार से आते हैं। वह अपने जिले में दसवीं के टॉपर हैं। अर्जुन ने बताया कि उनके पिता नहीं है। उनकी मां फैक्ट्ररी में काम करती हैं। अर्जुन ने बताया कि मां के कमाए पैसों से ही उन्होंने अपने स्कूल की फीस भरी है। जब मां उनको फीस देती थी तो उनके मन में सिर्फ एक ही चीज घूमती थी कि मां ने मेहनत कर स्कूल की फीस भरी है। अर्जुन ने बताया कि उनका भाई पोस्टमैन है। अब वह आर्थिक तौर उनकी मदद कर रहा है।फतेहाबाद से आए दसवीं के स्टेट टॉपर हिमेश सोनी के पिता राजेश ने बताया कि घर पर उन्होंने पढ़ाई का पूरा माहौल बनाया। बच्चा पढ़ाई को लेकर विचलित न हो, इसके लिए पूरा समय दिया। उसे कभी कोई काम नहीं कहा। उसकी जो भी जरूरत होती थी, उसे पूरा किया। हिमेश ने बताया कि वह आईएएस बनना चाहता है। इसके लिए उसने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। उसने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को दिया है। उसने बताया कि मैं ठीक से पढ़ाई कर सकूं, इसलिए मेरे पिता ने मुझे पूरा सहयोग किया।