हरियाणा के अंबाला में बाढ़ के बाद अंबाला में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग को बलदेव नगर में डायरिया के कुछ केस भी मिले हैं, जिसके बाद क्षेत्र में पानी की सप्लाई को रुकवा दिया गया। वहीं एक टीम तत्काल मौके पर पहुंच गई और उन्होंने लोगों को समझाने से लेकर मरीजों का उपचार देना शुरू कर दिया। लोग चिकित्सकों को दस्त आदि की शिकायत बता रहे हैं।बलदेव नगर की तरह जिले के अन्य क्षेत्रों में भी बीमारियों के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने पब्लिक हेल्थ को भी लिखा है कि जब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में क्लोरीन नहीं दी गई है तब तक उन क्षेत्रों का पानी बंद करें। साफ पानी की टैंक से सप्लाई करें।इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी 176 टीमों को फील्ड में उतार दिया है, ताकि बीमारी फैलने से पहले ही काबू किया जा सके। वहीं अंबाला के 61 क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जहां पर अत्यधिक जलभराव हुआ और लगातार पानी रुका रहा। इन गांवों में यह टीमें रोजाना जाएंगी। इसमें अंबाला सिटी के कई क्षेत्र और अंबाला छावनी के क्षेत्र भी शामिल हैं।अक्सर जहां बाढ़ आती है, वहां पर वैक्टर (मक्खी, मच्छर आदि) से बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। पूर्व में देश के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ के बाद वहां के बाशिंदों ने ऐसी वैक्टर जनित बीमारियों (डेंगू, मलेरिया आदि) को झेला है। रुके हुए पानी में मच्छर लारवा दे जाते हैं और समय रहते इन लारवा को नष्ट नहीं किया तो इनमें से निकले मच्छर बीमारियों काे फैलाना का काम करते हैं। मच्छरों के माध्यम से कई गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग अभी अतिसंवेदनशील 61 गांवों में रुके हुए पानी में दवा का छिड़काव करा रहा है, जिससे कि लारवा नहीं पनपे। कई गांवों में लारवा मिला भी है तो दवा से उसे वहीं रोका जा रहा है।बाढ़ के बाद वैक्टर जनित बीमारियों के फैलने का ही नहीं बल्कि दूषित पानी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से होने वाले रोगों का भी खतरा रहता है। क्याेंकि कहीं न कहीं बाढ़ का गंदा पानी हमारी पेयजल सप्लाई को भी प्रभावित कर चुका होता है। इसके लिए जहां पर पानी गंदा होने की शिकायत मिल रही है, वहां पर क्लोरीन की दवा पानी में डाली जा रही है। लोगों को भी समझाया जा रहा है कि वह सीधे पेयजल का प्रयोग न करें बल्कि पानी में क्लोरीन की दवा डाल लें। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की एक टीम पानी की गुणवत्ता की जांच रही है।स्वास्थ्य विभाग ने साफ पेयजल लोगों तक पहुंचाने के लिए एक निजी कंपनी को क्लोरीन की गोली बनाने का काम दिया है। इसमें एक लाख क्लोरीन की गोलियां रोजाना बनाई जा रही हैं और इन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में वितरित कराया जा रहा है। विभाग अभी तक तीन लाख गोलियां वितरित करा चुका है। जब तक पेयजल की सप्लाई ठीक नहीं होती तब तक इन गोलियों का निर्माण चलेगा। बाढ़ के बाद सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि पशुओं में भी बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। क्योंकि दूषित पानी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से पशु भी बीमार हो सकते हैं। वहीं वैक्टर भी पशुओं में रोगों के वाहक होते हैं। ऐसे में लोगों के अपने स्वास्थ्य के साथ पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल भी करनी होगी। शनिवार को सीएमओ डॉ कुलदीप शर्मा ने कई गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने देखा कि गांवों में जलभराव के कारण सीएसची व पीएचसी में पानी भर गया, जिससे केन्द्रों पर रखी दवाओं व अन्य उपकरणों को भी काफी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सकों की बैठक लेकर उन्हें बीमारियां न फैलें इसके लिए सतर्क किया