हरियाणा के करनाल के के नौ जिलों में बाढ़ वर्षों से आफत बनती रही है। जिसके कारण वर्ष 1998 से 2022 तक के अध्ययन में सामने आया है कि हरियाणा की करीब 67852 हेक्टेयर भूमि बाढ़ की चपेट में आती है।राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सैटेलाइट के माध्यम से देश में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का अध्ययन किया है। इसके आधार पर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का एक एटलस भी तैयार किया गया है, जिसमें पता चला है कि हरियाणा के नौ जिलों में बाढ़ वर्षों से आफत बनती रही है। वर्ष 1998 से 2022 तक के अध्ययन में सामने आया है कि हरियाणा की करीब 67852 हेक्टेयर भूमि बाढ़ की चपेट में आती है। इसमें सबसे ज्यादा बाढ़ग्रस्त होने वाला क्षेत्र कैथल और सबसे कम यमुनानगर का है।इसरो और नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जारी किया है बाढ़ प्रभावित इलाकों का एटलस एनआरएससी और इसरो बहु दिवसीय सैटेलाइट एवं सेंसर डाटा से वास्तविक समय में बाढ़ की मैपिंग और निगरानी कर एटलस बनाया गया है, जिसकी मदद से बाढ़ के हॉट स्पॉट पहचाने जा सकते हैं। साथ ही यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और बाढ़ की सीमा की जानकारी देने के साथ वहां संरचनात्मक, गैर संरचनात्मक तथा प्राकृतिक एवं सामाजिक उपाय करने में सहायक है। यह एटलस बाढ़ के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान में मदद करता है।इससे क्षेत्रीय प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों एवं बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों के विकास, नुकसान को रोकने के लिए आपातकालीन उपाय, बुनियादी ढांचे के विकास की योजना बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही बाढ़ से होने वाले नुकसान की निगरानी और आकलन भी किया जा सकता है। इस एटलस को इसी वर्ष मार्च में जारी किया गया है।