गोरखपुर समाचार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मे डॉ. आरपी त्रिपाठी ने सीपीआर की कथा को सावित्री-सत्यवान की कथा से जोड़ते हुए कहा कि इसे ऐसे समझिए कि सत्यवान जमीन पर गिरे हुए हैं और सावित्री जोर-जोर से उनके सीने पर सर पटक-पटक कर रो रही है। हार्ट अटैक अचानक आता है। जब तक इंसान संभल पाता है, हृदय का धड़कना बंद हो जाता है और व्यक्ति वहीं बेहोश होकर गिर जाता है। ऐसी स्थिति में सीपीआर (कॉर्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) से धड़कन दुबारा चलने की उम्मीद होती है। यह एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा है, जिसके जरिए कई बार गंभीर हृदयाघात के बावजूद रोगी की जान बच जाती है।
यूपी डायबिटीज एसोसिएशन के सेमिनार के अंतिम दिन डॉ. संजय अरोड़ा ने मंच के जरिए विभिन्न अस्पतालों से आए कर्मचारियों को सीपीआर का तरीका बताया। उन्होंने बताया कि प्रभावित व्यक्ति को जितनी जल्दी सीपीआर दी जाएगी, उसके जीवन बचने की उम्मीद भी उतनी अधिक प्रबल होती जाएगी। इस प्रक्रिया में बेहोश व्यक्ति के सीने पर बाएं तरफ अपनी हथेली को एक के ऊपर एक रखें और कोहनी को सीधा रखते हुए पूरी ताकत से पंप करें। एक बार में 30 सेकेंड तक जल्दी-जल्दी सीने को दबाएं और छोड़ें। दो बार ऐसा करने के बाद एक बार मरीज के मुंह में मुंह से हवा भरें। फिर दो बार सीपीआर करें और हवा भरें। ऐसा करने पर संभव है कि उस व्यक्ति की धड़कन शुरू हो जाए।
डॉ. आरपी त्रिपाठी ने सीपीआर की कथा को सावित्री-सत्यवान की कथा से जोड़ते हुए कहा कि इसे ऐसे समझिए कि सत्यवान जमीन पर गिरे हुए हैं और सावित्री जोर-जोर से उनके सीने पर सर पटक-पटक कर रो रही है। सावित्री ने अपना सर इतनी जोर से पटका कि पसलियां हिल गईं और हर्ट की पंपिंग दोबारा शुरू हो गई। ऐसा होते ही सत्यवान की सांस लौट आई और वह उठकर बैठ गए। सीपीआर देते वक्त इतनी जोर से दबाव दिया जाता है कि पसलियों के नीचे छिपे हृदय पर दबाव बने। इसी दौरान एंबुलेंस व पुलिस को सूचित करें, जिससे कि मरीज को तत्काल नजदीकी डॉक्टर की सहायता मिल सके।