गोरखपुर समाचार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला में बिजली निगम में बकाया बिल जमा करने के लिए दिए गए 958 चेकों का अब तक हिसाब नहीं मिल पाया है। ये चेक वर्ष 2016 से 2020 के बीच के हैं। लगभग सात करोड़ रुपये के इस गोलमाल की आशंका है। सबसे अधिक 380 चेक गोरखपुर ग्रामीण खंड प्रथम के हैं। पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त एसके जाड़िया ने गोरखपुर जोन प्रथम और द्वितीय के मुख्य अभियंता को पत्र भेजकर इन चेकों के बारे में जानकारी मांगी है।
पूर्वांचल वितरण निगम के निदेशक वित्त ने गोरखपुर, प्रयागराज, बस्ती और वाराणसी मंडल में खंडों के बैंक समाधान विवरण की समीक्षा की। इस दौरान पता लगा कि करीब एक हजार उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्होंने वर्ष 2016 से 2020 के बीच अपने बकाए चेक के माध्यम से जमा किए हैं और उसके आधार पर निगम के रिकॉर्ड में बकाया शून्य हो गया है, लेकिन उन चेकों का भुगतान नहीं हुआ है। मामले में गोलमाल की आशंका को देखते हुए जांच शुरू कराई गई।
सांठगांठ कर करोड़ों रुपये का गोलमाल
सूत्र बताते हैं कि खंड दफ्तर के जिम्मेदारों ने चेक की रकम से बड़ा खेल किया था। किसी भी बकाया बिल पर बिचौलिए की तरफ से बकाएदार के नाम और कनेक्शन नंबर से निगम दफ्तर में चेक जमा कर दिया जाता था। उस कनेक्शन नंबर पर भुगतान की पर्ची कट जाती थी और सर्वर से भी भुगतान के साथ बकाए की रकम को हटा दिया जाता था। इसके आगे का बिल उस कनेक्शन नंबर पर चार्ज ही नहीं होता था। बिचौलिए और बिजली निगम की सांठगांठ में बकाए की रकम को निपटा दिया जाता था। बकाया शून्य होने पर पीडी भी करवा दिया जाता था, ताकि बाद में मामला सामने न आए