उत्तर प्रदेश के आगरा के बटेश्वर में बुधवार को यमुना वर्ष 2010 में आई बाढ़ के करीब पहुंच गई है। गौरीशंकर मंदिर से पंचमुखी महादेव मंदिर तक 13 साल पुराने बाढ़ के कीर्तिमान के बीच महज 3 फीट का फासला रह गया है। ब्रह्मलाल मंदिर में घुसा बाढ़ का पानी प्रवेश द्वार से होकर बह रहा है। बहाव को देखते हुए बुधवार सुबह 8.30 बजे मंदिर बंद कर दिया गया। एसडीएम कृष्णनंद तिवारी, ट्रस्ट के हरनरायन सिंह, ध्रुव शर्मा ने मंदिर के प्रवेश द्वार पर बैरिकेडिंग करा दी है। ब्रह्मलाल जी महाराज के पश्चिम में बने राम जानकी मंदिर, जोगेश्वर मंदिर, राजेश्वर मंदिर, बिहारी जी मंदिर में यमुना का पानी भर गया है। बाढ़ का पानी विसरांत के ऊपर से बहकर जैन मंदिर की सड़क के रास्ते पुरानी यमुना के नाले में जाने लगा है। फुफकार के बीच दहशत में यूं गुजरा समय सड़क पर दो से तीन फीट तक पानी भर गया है। इतना ही नहीं मंदिर श्रंखला के पीछे बने धार्मिक कॉम्पलेक्स परिसर में कमर तक पानी भर गया है। यमुना का रौद्र रूप देख मंदिर क्षेत्र के निचले इलाके की बस्तियों में अफरा-तफरी का माहौल रहा। लोग अपने घरों से सामान समेटने की तैयारी कर रहे हैं।बाढ़ से घिरे बाह तहसील क्षेत्र के कलियानपुर और भरतार गांव बुधवार को दूसरे दिन भी राहत के लिए प्रशासन का मुंह ताकता रहा। प्रधान प्रतिनिधि नरायन सिंह भदौरिया ने बताया कि कई परिवार भोजन सामग्री के लिए परेशान हो रहे हैं। राहत के नाम पर एसडीएम कृष्णनंद तिवारी से महज आश्वासन मिला है। बुधवार को बाढ़ का पानी कचौराघाट के शिव मंदिरों में घुसने के बाद नदी किनारे की निचली बस्तियों की गलियों में भर गया है। इससे बस्ती के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विक्रमपुरघाट गांव में शेर सिंह, सुनील सहित 8 परिवारों की झोपड़ियां बाढ़ में डूब गई हैं। झोपड़ियों को बहने से रोकने के लिए गांव के लोग उन्हें पेड़ आदि से बांधने की कवायद में जुटे थे। बाग गुड़ियाना, सुंसार गांव के बीहड़ी रास्तों में भी बाढ़ का पानी भर गया है। इसके अलावा चरीथा, गढ़ी बरौली, पई, पारना, खिलावली, नौगवां, पुरा चतुर्भुज, नगला सुरई, फकीरे की मढ़ैया, कोट का पुरा, चौरंगा बीहड़, बिक्रमपुर कछार, बुढ़ैरा, रामपुर चंद्रसेनी, बिठौली, टोका मार्ग की ओर बाढ़ का पानी घुसने से ग्रामीण परेशान हो रहे हैं।ब्रह्मलाल जी मंदिर में दर्शन पूजन के लिए बुधवार तड़के से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह 8 बजे तक श्रद्धालु मंदिर परिसर में भरे बाढ़ के पानी के बीच पूजा करते रहे। पानी का बहाव तेज होने पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर सुबह 8.30 बजे मंदिर के तीनों गेटों पर ताला लगा दिया गया। इसके बाद मंदिर पहुंचे श्रद्धालु लौट गए। कुछ ने गौरी शंकर मंदिर, पंचमुखी महादेव मंदिर में पूजा की। पुजारी राकेश बाजपेयी ने बताया कि नदी का बहाव तेज होने से मंदिर बंद करना पड़ा।यमुना का जलस्तर बढ़ने से बटेश्वर मंदिरों के रास्ते और प्रवेश द्वार में दो से तीन फीट तक पानी भर गया है। मंदिरों का गलियारा बुधवार को पिकनिक का केंद्र बना रहा। महिला, पुरुष, बच्चे पानी संग मस्ती करते दिखे। बाढ़ की यादों को सहेजने के लिए सेल्फी की भी होड़ रही। मंदिर के पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी ने बताया कि रोक के बाद भी श्रद्धालु प्रवेश द्वार परिसर पर बाढ़ के पानी में पहुंचकर मस्ती कर रहे हैं। बाड़े में भरा बाढ़ का पानी, बीहड़ में हांकीं बकरियां यमुना की तलहटी के किनारे बटेश्वर के कालीचरन की बकरियों का बाड़ा है। बुधवार सुबह बाड़े में पानी भरने पर वह बकरियों को बीहड़ की ओर हांक ले गए। जैन मंदिर की जलमग्न सड़क के रास्ते बकरियों को बीहड़ की ओर ले जा रहे उनके परिवार ने बताया कि बीहड़ में बकरियां चराएंगे। बाड़े में पानी भरने के बाद पानी उतरने तक ऊंचाई वाले क्षेत्र में इन्हें रखेंगे। बाढ़ से बुधवार को पश्चिमी क्षेत्र का प्लेटफॉर्म डूब गया है। यहां बाढ़ का नजारा देखने पहुंचे लोग लौटे तो कार के पहिए पानी में डूबे मिले। इसके बाद भी लोग यहां नदी में छलांग लगाने से बाज नहीं आए। राजस्व विभाग की टीम के पहुंचने पर कई लोग मंदिरों के डूबे प्लेट फॉर्म पर दौड़ते नजर आए।