उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद। जिले में 486 शराब की दुकानें बिना खाद्य सुरक्षा लाइसेंस के संचालित हैं। प्रदेश सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एफएसडीए) में अल्कोहल भी शामिल किया है। इसके चलते शराब के थोक और फुटकर विक्रेताओं के लिए खाद्य लाइसेंस जरूरी कर दिया है। लाइसेंस नहीं बनवाया तो शराब नहीं बेच सकेंगे। इसके बाद भी जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग व आबकारी विभाग में लाइसेंस को लेकर सहमति न बनने से शासन के आदेशों पर अमल नहीं हो रहा है।जिले में देशी शराब की 291 व विदेशी शराब की 163 और 137 बीयर की दुकानें हैं। इनमें सिर्फ 105 दुकानदार ने खाद्य विभाग से लाइसेंस नहीं बनवाया है। आबकारी विभाग को शराब कारोबार में खाद्य सुरक्षा विभाग का दखल रास नहीं आ रहा है। दोनों विभागों में इसे लेकर फिलहाल सहमति नहीं बन पा रही है। इससे लाइसेंस को लेकर शासन का आदेश रद्दी की टोकरी में पड़ा है। अधिकांश दुकानें बिना खाद्य सुरक्षा विभाग के लाइसेंस के संचालित हो रही हैं।उधर, खाद्य सुरक्षा विभाग के जिला अभिहित अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार का कहना है कि सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एफएसडीए) में अल्कोहल को भी शामिल कर लिया है। अब बिना खाद्य सुरक्षा विभाग के लाइसेंस के कोई भी कारोबारी शराब नहीं बेच सकेगा। बीते दिन डीएम की अध्यक्षता वाली मीटिंग में आबकारी विभाग को आदेश भी दिए थे कि अनुज्ञापी को खाद्य सुरक्षा विभाग का लाइसेंस लेने के लिए बाध्य करें। निकाय चुनाव के चलते कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा सकी थी। अब शराब की दुकानों के चालान की कार्रवाई की जाएगी। किसी भी हालत में बिना लाइसेंस के शराब दुकान नहीं चलने दी जाएगी।105 शराब की दुकानों के लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग में हैं।जहरीली शराब की बिक्री रोकने के लिए बनाया था नियम जहरीली शराब पीकर मौत की घटनाएं समय-समय पर सामने आती रहीं हैं। नशा बढ़ाने के लिए शराब में खतरनाक रसायन मिलाए जाने का कारोबार धड़ल्ले से चलता है। जहरीली शराब से मौत की घटनाओं के बाद जांच की औपचारिकता पूरी की जाती थी। खाद्य विभाग जहरीली शराब बिक्री को रोक सके, इसलिए शासन ने यह नियम बनाया गया था।शराब के अलग-अलग मानकश्रेणी के अनुसार शराब के अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। उनमें अल्कोहल के अलावा अन्य पदार्थों की मात्रा भी निर्धारित की गई है।
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