उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में दामाद को फंसाने के लिए हैवान पिता ने अपनी ही बेटी को जिंदा जला दिया था। सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी पिताी के साथ उसका भाई भी जेल में सजा काट रहा है। मामला 31 साल पहले का है। फर्रुखाबाद निवासी युवक ने दामाद को फंसाने के लिए पुत्री की हत्या कर दी थी। मामले में सुनवाई करते हुए अपर जिला जज प्रथम ने मृतका के पिता और उसके भाई की जमानत खारिज कर दी है। दोनों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है।जिला फर्रुखाबाद के रहने वाले कन्हैया लाल की पुत्री उमा की शादी 9 मई 1990 को ग्राम महादेवा थाना कुरावली निवासी राजीव कुमार के साथ हुई थी। 9 फरवरी 1992 को उमा की जलकर मौत हो गई थी। कन्हैयालाल ने अपने दामाद राजीव और उमा की सास के खिलाफ दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर उमा की जलाकर हत्या कर देने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच में पाया की दामाद को फंसाने के लिए कन्हैयालाल और उनके बेटे वेदपाल ने उमा की हत्या की है। पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में भेज दी तो कन्हैयालाल और वेदपाल ने झूठा फंसाने का आरोप लगाकर हाईकोर्ट से मामला स्टे करा लिया। हाईकोर्ट से स्टे खारिज होने के बाद कन्हैयालाल और वेदपाल ने जमानत पाने के लिए अपर जिला जज प्रथम मुनव्वर जहां के न्यायालय में आवेदन किया। एडीजीसी विपिन कुमार चतुर्वेदी ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने का विरोध किया। अपर जिला जज ने पिता पुत्र की जमानत खारिज करके उनको जेल भेज दिया है। पति और सास हो चुके बरीउमा की दहेज की खातिर जलाकर हत्या कर देना के मामले में पति राजीव और सास के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट भेजी थी। इसका मुकदमा अपर जिला जज के न्यायालय में चला था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान उमा की जलाकर हत्या करने का आरोप साबित न होने पर अपर जिला जज ने 30 अक्टूबर 2003 को पति राजीव सहित सास को दहेज हत्या के आरोप से बरी कर दिया था। पुलिस मामले की जांच कर रही हे