उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद में तापमान के साथ लोहिया अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है। पर्चा काउंटर से लेकर दवाई लेने तक मरीज धक्का-मुक्की के दौर से गुजरते रहे। आर्थो सर्जन के दिव्यांग बोर्ड जाने की वजह से मरीज भटकते रहे। अंत में बिना दवाई लिए ही उन्हें लौटना पड़ा।लोहिया अस्पताल में सुबह आठ बजे से ही मरीजों का पहुंचना शुरू हो गया। ऑनलाइन पंजीकरण हो अथवा पर्चा काउंटर दोनों ही स्थानों पर धक्का मुक्की होती रही। ओपीडी में यूनानी के अलावा अन्य कोई डॉक्टर नहीं बैठा। साढ़े 11 बजे बालरोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक सक्सेना पहुंचे। मरीज दो-दो घंटे तक बैठे रहे। दोपहर साढ़े 12 बजे के बाद कुछ देर के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज पांडेय राउंड करने के बाद पहुंचे, तो 50 से अधिक मरीज पहले दिखाने के लिए चीख पुकार करने लगे। गार्डों ने समझा बुझाकर शांत किया। आर्थो सर्जन डॉ. रिषीकांत वर्मा के दिव्यांग बोर्ड में जाने से हड्डी रोगी भटकते रहे। उन्हें बिना इलाज ही लौटना पड़ा। कई मरीज इमरजेंसी में दवा देने का आग्रह करते देखे गए।काफी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को भी ऑनलाइन पर्चा बनाने का ट्रायल शुरू हो गया। पर्चा बनाने के लिए ऑपरेटर रुद्र शुक्ला को लगाया गया है। बताया कि तैयारियां पूरी हो गई हैं। मंगलवार से विधिवत पर्चा बनना शुरू हो जाएगा। सरकार मरीजों के लिए व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने पर लाखों रुपये खर्च कर रही है, मगर अस्पताल में प्रशासन बेपरवाह है। मनोरोग पुरुष वार्ड में लापरवाही इतनी कि बेड नंबर 60 के दोनों पैर टूटे हैं। बेड को तीमारदार के बैठने के लिए रखे स्टूल के सहारे रख दिया गया। उसी बेड पर मरीज को भी भर्ती कर दिया गया। जबकि अस्पताल के स्टोर में बड़ी संख्या में नए बेड रखे हैं। लापरवाह वार्ड कर्मियों ने इसे बदलवाने की जरूरत नहीं समझी। पुलिस मामले की जांच मे जुटी हे


































