इटावा हरिदास विनोद कुमार द्विवेदी और आचार्य भैया जी ब्रजकिशोर वशिष्ठ ने बताया सुख आने पर भगवान को भूल जाते हैं, जबकि दुख में ईश्वर का ही याद किया जाता है। जब कुंती ने भगवान श्रीकृष्ण से जीवन में दुख मांगा तो कृष्ण ने प्रश्न किया कि लोग सुख की अपेक्षा रखते हैं और आप दुख मांग रही हैं परीक्षित के रूप में दया चौहान, नागेंद्र चौहान ने कथा का रसपान किया।दुख ही ईश्वर से जोड़े रखने के लिए श्रद्धा भाव उत्पन्न करता है। यह बात सरस कथा वाचक आचार्य ब्रजकिशोर वशिष्ठ ने श्रीमद्भागवत कथा में कही।पहला सुख और दूसरा दुख। दोनों एक-दूसरे के पूरक बताए गए हैं वैसे ही इंसान अक्सर बुरे वक़्त ही याद करता है