उत्तर प्रदेश के इटावा मे रोडवेज बसो को बढ़ाने की मांग की गयी हे रोडवेज निगम कार्यालय का क्षेत्रीय कार्यालय जिले में संचालित है। दिल्ली, लखनऊ जैसे मुख्य मार्ग सीधे जुड़े होने की वजह से प्रतिदिन 12 से 13 हजार यात्रियों का आवागमन रहता है। बड़े रूटों पर तो बसों की संख्या पर्याप्त है, लेकिन छोटे रूटों पर बसों की संख्या कम है। कई रिटायर हो चुकी बसों को भी मजबूरी में विभाग को ढोना पड़ रहा है। यह देखते हुए शासन की ओर से निजी बसों को अनुबंध पर रखने की योजना लगभग चार माह पहले बनाई गई थी। रोडवेज निगम की ओर से शुरू की गई अनुबंध योजना फेल होती नजर आ रही है। चार माह में छह रूटों पर 44 बसों की जरूरत है और अभी तक सिर्फ दो बसों के लिए ही टेंडर प्रक्रिया शुरू हो सकी है। इससे जिले के कई रूटों पर आज भी लोग जान जोखिम में डालकर डग्गामार वाहनों से सफर करने के लिए मजबूर हैं। रोडवेज निगम ने परिवहन अधिकारियों के साथ मिलकर बस संचालकों के साथ कई बार बैठकें की, लेकिन कागजी कार्रवाई और मुनाफा कम देखकर संचालकों की ओर से रुचि नहीं ली गई। यही वजह है कि इटावा डिपो से छह मार्गों पर 44 बसें अनुबंधित की जानी है, लेकिन इन मार्गों पर एक भी बसें नहीं चल रही हैं। इनमें इटावा- फर्रुखाबाद मार्ग पर दो बसों के लिए टेंडर डाला गया है। शेष 42 बसों के लिए किसी भी बस संचालक ने टेंडर नहीं डाला है। इटावा से औरैया,जहानाबाद होते हुए 179 किलोमीटर के मार्ग पर दो, इटावा से औरैया, बकेवर होते हुए अजीतमल के 68 किलोमीटर मार्ग पर चार बसें चलनी हैं, लेकिन एक भी अनुबंधित बस नहीं चल रही है। जबकि इटावा व फर्रुखाबाद के बीच 102 किलोमीटर मार्ग पर आठ अनुबंधित बसें चलनी हैं। जबकि छह बसें और चलनी हैं। इटावा से उदी, आगरा वाया बाह होते हुए 125 किलोमीटर मार्ग व इटावा से औरैया होते हुए जहानाबाद तक 111 मार्ग पर 10-10 बसें और फर्रुखाबाद से इटावा 102 किलोमीटर मार्ग पर 10 बसें चलनी हैं। लेकिन इन तीनों ही मार्गों पर एक भी अनुबंधित बस नहीं चल रही है। अधिकारियों को सिर्फ खानपुरती करनी होती हे विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा हे
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