उत्तर प्रदेश के इटावा/बकेवर। पहाड़ों पर हुई बर्फवारी के बाद बिगड़े मौसम का असर मैदानी क्षेत्रों में खासकर धान व बाजरा उत्पादक किसानों की दो दिन से चिंता बढ़ा रहा है। सोमवार व मंगलवार को हुई बूंदाबांदी की वजह से धान की पकी फसल खेतों में गिर पड़ी है। कहीं-कहीं धान व बाजरा की फसल काटने का कार्य चल रहा है। सोमवार शाम ढलने के दौरान आंधी और हल्की बारिश से किसान खेतों में खड़ी फसल को लेकर परेशान हैं। उनकी चिंता मंगलवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे कुछ देर के लिए हुई बारिश ने और बढ़ा दी है।
हालांकि दिन चढ़ने के साथ ही धूप निकलने से किसानाें ने राहत की सांस ली। इन दिनों धान और बाजरा की फसल की कटाई चल रही है। कहीं खेतों में फसल पकी खड़ी है। उड़द और मूंग की फसल भी खेतों में खड़ी है। अचानक मौसम का मिजाज बदलने से किसान काफी परेशान हैं। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि नवरात्र के मौके पर आंधी पानी उनकी चिंता बढ़ा भी सकती है। पिछले साल भी अक्तूबर के महीने में शारदीय नवरात्र के दिनों में हुई बारिश को याद कर किसान सोच में प़ड़ गए हैं। अगले कुछ दिनों में मौसम कैसा होगा, इस चिंता में किसान डूबे हुए हैं।
बकेवर। जनपद में इस साल करीब 51 हजार हेक्टेयर में धान की फसल है। जबकि बाजरा की फसल करीब 44 सौ हेक्टेयर में है। शुरुआती बारिश के बाद मौसम ने किसानों को झटका दे दिया, लेकिन मध्य में बारिश लेट हुई थी। इस समय खरीफ की मुख्य फसल धान व बाजरा की फसल खेतों में पकी खड़ी है। अगेती की फसल की कटाई हो रही है। लेकिन करीब 95 फीसदी धान व बाजरा की फसल खेतों में खड़ी है, इनमें कुछ पकी तो कुछ पकने के वाली है।
सोमवार को बादलों के मंडराने व बूंदाबांदी होने से किसानों के दिल की धड़कनें बढ़ गई थी और फिर रात में करीब ढाई बजे गरज के साथ हल्की बारिश हुई। मंगलवार सुबह करीब पंद्रह मिनट तक हल्की बारिश हुई। इस वजह से खेतों में धान की कटाई व बाजरा की फसल की कटाई का काम बाधित हो गया है। तेज हवा व बूंदाबांदी से खेतों में खड़ी धान की फसल खेतों में गिर गई है। सराय मिट्ठे निवासी किसान भूपेंद्र ने बताया कि उनकी धान की फसल में कटा रोग लग रहा है। ऊपर से मौसम खराब होने से बारिश और नुकसान कर रही है। बारिश होने के बाद कटाई कार्य और ज्यादा पिछड़ जाएगा। गांव उझियानी के किसान नरेंद्र तिवारी का कहना है कि उनकी 10 बीघा में धान की फसल पकने को तैयार है। जो बूंदाबांदी से जमीन पर गिर गई। अगर बारिश और हुई तो फसल में पैदावार कम होगी साथ ही नुकसान भी होगा। तेज हवा से धान की फसल गिर जाएगी। बारिश होने से दोहरा होने की आशंका है। एक ओर दाना पतला और काला पड़ जाएगा। लगभग यही स्थिति बाजरा की फसल को लेकर भी है। पानी की वजह से बाजरा का भूरा दाना काला पड़ जाएगा। उड़द और मूंग की फसल भी पक गई है। यदि इनकी फलियां नहीं टूटीं हैं तो वह जमने के बाद खराब हो जाएंगी। –डॉ.विजय बहादुर जायसवाल, मौसम वैज्ञानिक जिला कृषि विज्ञान केंद्र