उत्तर प्रदेश के एटा। एक ओर जहां विकास कार्यों व अन्य सरकारी योजनाओं के मामले में जिला प्रदेश में नाम कर रह है। इस महीने की सीएम डैशबोर्ड समीक्षा में 7वीं रैंक हासिल कर टॉप-10 में आ गया। लेकिन मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना की बदतर स्थिति ने बदनामी भी दिलाई है। पूरे प्रदेश में मनरेगा में जिले काे 63वां स्थान दिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से महत्वपूर्ण योजना के तौर पर मनरेगा का संचालन किया जाता है।
उद्देश्य है कि पलायन रोकने के लिए लोगों को गांव में ही रोजगार दिया जाए। तमाम क्षेत्रों में लोगों को योजना का लाभ भी मिला है। लेकिन योजना को लेकर जनपद में लापरवाही बरती जा रही है। स्थिति तब स्पष्ट हो गई जब सीएम डैशबोर्ड पर पूरे प्रदेश की समीक्षा की गई। इसमें जॉबकार्ड बनाने, पंजीकृत मजदूरों को रोजगार दिलाने, मानव दिवस सृजन, मांग के अनुरूप रोजगार की उपलब्धता, कराए गए कार्यों आदि को लेकर हर जिले को परखा गया। इनके आधार पर अंक तय कर रैंकिंग बनाई गई तो एटा काफी पीछे पहुंच गया। कुल 63वीं रैंक जिले को मिल पाई। जबकि अन्य तमाम कार्यों, योजनाओं में जिले की स्थिति काफी बेहतर रही। जिसके चलते जिले को 7वीं रैंक हासिल हुई। यदि मनरेगा में भी स्थिति ठीक होती तो जिले की रैंक और अच्छी बन सकती थी। इसे लेकर डीएम ने उपायुक्त मनरेगा को कड़े निर्देश जारी कर दिए हैं। साफ कहा है कि अगले महीने की समीक्षा तक स्थिति को सुधार लिया जाए।