उत्तर प्रदेश में एटा। मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी से मरीजों के रेफर किए जाने का मुद्दा जिले के प्रभारी मंत्री के सामने उठाया गया। इस पर प्रभारी मंत्री ने इमरजेंसी से रेफर मरीजों के विवरण की जांच-पड़ताल करने के निर्देश दिए। कहा है कि मरीज किस हालात में रेफर किया जा रहा है, इसकी जांच कराई जाए, जिससे हकीकत का पता चल सके कि मरीज को क्यों रेफर किया गया किस चिकित्सक ने रेफर किया। इसके बाद स्थानीय स्तर पर मॉनीटरिंग शुरू करा दी गई है।
मेडिकल काॅलेज खुला तो लोगों को उम्मीद थी कि बेहतर चिकित्सकाें के साथ संसाधन बढ़ेंगे और हर मर्ज का यहीं इलाज मिल जाएगा। समय के साथ कॉलेज में संसाधन बढ़े। चिकित्सक भी बड़ी संख्या में तैनात हैं। जिले के लोगों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है। इमरजेंसी की बात करें तो यहां दुर्घटना सहित अन्य गंभीर स्थिति के मरीजों को तत्काल रेफर कर दिया जाता है। रविवार को जिले के प्रभारी मंत्री केपी मलिक आए हुए थे। ऐसे में व्यापारी नेताओं सहित अन्य लोगों ने यह मुद्दा प्रभारी मंत्री के सामने उठाया। उन्होंने डीएम से मामले की जांच कराने की बात कही थी। कहना था, पता किया जाएगा कि एक दिन में यहां से कितने मरीज रेफर हो रहे हैं, उसे क्या दिक्कत थी और किस डॉक्टर ने मरीजाें को रेफर किया है।
सीएमएस डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि रेफर किए जाने वाले मरीजों का विवरण देखा जाएगा जांच होगी कि उन्हें रेफर क्यों किया गया? संबंधित चिकित्सक की भी जानकारी की जाएगी। मेडिकल काॅलेज के इमरजेंसी के आंकड़ों पर गौर करें तो दो दिन में ही यहां से 15 मरीजों को रेफर किया गया है। 30 सितंबर को इमरजेंसी से 10 मरीजों को रेफर किया गया था। जबकि एक अक्तूबर को यहां से पांच मरीज रेफर हुए