उत्तर प्रदेश के एटा। नगर निकायों में जबसे सरकार ने बजट बढ़ाकर अधिक धनराशि देना शुरू की है तबसे भ्रष्टाचार बढ़ गया है। यही वजह है कि अब चुनाव लड़ने वालों की कतार लगी रहती है। जबकि पहले चुनाव लड़ने वालों की तलाश करनी पड़ती थी।मंगलवार को पुराने समय के चुनाव को लेकर चर्चा करते हुए व्यापारी दिवाकर जैन ने बताया कि पहले नगर पालिका की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। सरकार से अनुदान मिलने लगा तबसे पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर हर कोई काबिज होना चाहता है। चाहे वह किसी भी तरह से हो। यह लोग चाहते हैं कि ठेकेदारी से लेकर जो भी कार्य हों, उनके ही अधीन हो। जिससे वह अधिक से अधिक कमाई कर सकें। पहले ऐसा नहीं था। पहले चुना गया प्रतिनिधि समर्पण के साथ कार्य करता था। चुनाव से पूर्व प्रत्याशी प्रचार में खूब रुपये लुटाते हैं। चेयरमैन बनने के बाद सरकारी धन की लूट-खसोट मचाते हैं।


































