उत्तर प्रदेश के एटा। सहायता प्राप्त विद्यालय में शिक्षक ने 23 वर्ष नौकरी कर ली। अब डिग्री को अमान्य बता शिक्षक की सेवा समाप्त कर दी है। सवाल उठ रहे हैं कि अमान्य डिग्री पर नियुक्ति कैसे हुई और 23 साल तक विभाग क्यों चुप बैठा रहा? श्रीवार्ष्णेय इंटर कॉलेज में वेद प्रकाश की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में 25 सितंबर वर्ष 2002 में हुई थी। नियुक्ति के समय शिक्षक द्वारा बीए और शिक्षा विशारद की डिग्री लगाई गई थी। तत्कालीन डीआईओएस व बीएसए सहित तीन सदस्यीय कमेटी ने शिक्षक को सहायता प्राप्त विद्यालय में नियुक्ति के लिए भेजा था।
दो माह पूर्व लखनऊ से शिक्षक की डिग्री को लेकर नोटिस आया। शिक्षक लखनऊ गए और अपनी बात को रखा। अब उपशिक्षा निदेशक द्वारा डीआईओएस को शिक्षक की डिग्री अमान्य बता सेवा समाप्ति का पत्र भेजा गया है। शिक्षक वेद प्रकाश का कहना है कि आवेदन करने के दौरान सभी प्रपत्रों को लगाया था, जिनका अधिकारियों ने परीक्षण भी किया। अब शिक्षा विशारद की डिग्री को अमान्य बताया गया है। दो माह पूर्व मेरे पास नोटिस आया था। इस पर लखनऊ गए थे वहां रुपये मांगे गए। रुपये देने से इन्कार कर दिया। इस पर सेवा समाप्ति का पत्र भेजने की बात सामने आई है। हालांकि अभी पत्र नहीं मिला है।
मंडल में है शिक्षा विशारद डिग्री के नौ शिक्षक मंडल में अगर शिक्षा विशारद की डिग्री पर नौकरी करने वालों की बात की जाए तो एटा में दो, कासगंज में एक व हाथरस में छह शिक्षक विद्यालयों में तैनात हैं। किसी की नियुक्ति वर्ष 1987 तो किसी की 2020 में हुई है। श्रीवार्ष्णेय इंटर कॉलेज के शिक्षक वेद प्रकाश की शिक्षा विशारद की डिग्री को लखनऊ में उच्चाधिकारियों द्वारा अमान्य माना गया है। इसी के चलते शिक्षक की सेवा समाप्ति का पत्र आया है