जो छात्र असफल हुए है वो भी किसी की आँखों के लाल है उम्मीद है, और आगे कुछ जरूर बेहतरीन करेंगे, लेकिन हमारा अवसरवादी समाज कब बदल जाए पता नहीं, इस समाज को सिर्फ सफल लोगो से सरोकार है भले ही कोई भी हो, असफल को भुला देना आदतन है भले ही वो कोई भी हो।
आज से करीब पिछले हजारो सालों से बेटे ही घर, परिवार और देश की रक्षा करते थे तो वो लाडले थे, और हमारा समाज उनको बेल की तरह जिम्मेदारी देता गया और वो निभाते गए, किसी भी काम की न नहीं की किसी भी हालत में दर्द में उफ़ नहीं किया, सुविधाएं मिली नहीं मिली सब में खुस रहे, लेकिन हमने बेटिओ को हर सुख दिखा, प्रेम की छाव दी, आगे बढ़ने को बहुत प्रोत्साहित किया, उनके लिए सुविधाएं जुटाने में बेटो ने भी भरपूर साथ दिया लेकिन ये क्या हम बेटो को उपेक्षित करने लगे और हमे पता भी नहीं चला, जी हां हमने बेटो को उपेक्षित कर दिया है लेकिन फिर भी बेटे कुछ नहीं कह रहे है, वो शांत है और अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है।
आज के समय में जब UPSC का परिणाम आ गया है तो एक असफल छात्र या छात्रा कितना भी चीख चीख कर भी बोले कि वो बारह से पंद्रह घंटे पढ़ता था , तब भी उसकी बात पर कोई यकीन नहीं करेगा और दोष देंगे की कोई कमी रह गयी होगी वही सफल होने वाला बोल दे की 14 काम 15 मिनट पढ़ाई की तो लोग तारीफ के डेम बना देंगे.
याद रखियेगा आपके प्रयासों को तभी मान्यता मिल पाती है , जब आप सफल होते है .. वरना बदले में क्या मिलता है .. उपदेश और उपहास ! देखिए असफल छात्रों को हमारे समाज से क्या क्या सुनने को मिलता है !
1- ये करेंगे आई ए एस …. हूंह..( जैसे खुद के बेटे कलेक्टर बनकर घूम रहे हो )
2- आई ए एस क्लियर करने वालों का तो शक्ल से ही पता पड़ जाता है…( ऐसा कहने वाले आपके ख़ास शुभचिंतक ही होते है )
3- तू रहने दे भाई , देख अभी भी समय है… कोई बाबू की या टीचर की पोस्ट पकड़ ले !.. ( चाहे खुद कभी किसी कम्पीटिशन में भी पास नहीं हुए हो )
4- बारह घंटे पढ़ता तो यूँ अटक ना जाता …झूठ की भी हद होती है ! (जैसे कहने वाले को एक एक पल की जानकारी हो )
5- क्यों अपने पिताजी के पैसे और और अपनी जिंदगी खराब कर रहा है , इससे अच्छा तो पिताजी के व्यापार में हाथ बंटा.. ताकि उनको भी मदद मिल सके !( चाहे उसके पिताजी ने उसको कुछ नहीं कहा हो , पर मिलने वाले हो , रिश्तेदार हो या पड़ोसी , उनको बाप से ज्यादा चिंता रहती है )
6- बगल वाले कमल जी के बुआ का लड़का दूसरी बार में ही सलेक्ट हो गया … और इधर चार बार से बस दिए जा रहे है… दिए जा रहे है , अरे भाई … मजाक नहीं है ये सब ! ( तुलनात्मक अत्याचार करने की तो अपनी पुरानी आदत है )
7- नहीं हुआ ना , पता था मुझे… तुझे कई बार बाजार में घूमते देखा है मैंने ( भले ही वो किसी जरुरी काम से ही गया हो और उसने एकाध बार देख लिया हो )
8- आप ही हो क्या… जो दिल्ली रहकर पढ़ाई कर रहे थे , क्या हुआ… नहीं हुआ क्या इस बार भी ! ( दूर के रिश्तेदार… जो अपनी किसी परिचित की लड़की को उसके अटकाने के लिए रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे )
9-इनसे मिलिए , ये आ गए कलेक्टर साहब…( क्या पता क्या मिलता है इस तरह किसी की खिल्ली उड़ाकर कुछ लोगों को )
10- वो देख… रामलाल भी तो अपनी छोटी सी नौकरी में अच्छा कमा रहा है , आज क्या कमी है उसके पास ! छोड़ दे ज्यादा ऊँचे सपने देखना… मान मेरी बात !
इस तरह की घटिया बातें कहकर कुछ लोग असफल बच्चों को मानसिक यातना देते है और ये लोग और कोई नहीं बल्कि उसके करीबी ही होते है !
ये समाज ये दुनियां किसी की सगी नहीं है मित्रों … अपने बच्चों को कम से कम इतना मजबूत बनाओ कि चाहे उसे सफलता मिले या असफलता , लोगों की बेमतलब की बातों से कतई विचलित ना हो !
अरे दुनियां तो इतनी धूर्त है कि सफल व्यक्ति के मुँह पर प्रशंसात्मक बातें करके लोग ज्यों ही पीछे मुड़ते है… उसकी भी बुराई करना शुरू कर देते है ! इनको किसी से कोई मतलब नहीं… बस इनको तो बातें बनाने से मतलब होता है !
ऐसे नकारात्मक लोगों से खुद भी दूर रहे और अपने बच्चों को भी दूर रखें ! साथ ही अपने बच्चों को इतना तो हौंसला देवे कि वो सामने वाले के भाव समझकर उसे उचित जवाब देकर उसकी बोलती बंद कर सके !