उज्जैन शहर में कुत्ते काटने की समस्या गंभीर हो गई है। हर महीने 550 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। रात में तो सही-सलामत घर पहुंचना मुश्किल हो रहा है। कुत्ते जो पीछे पड़ जाते हैं। वो काट कर ही छोड़ते है यानी हर रोज करीब 20 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। स्थिति यह है कि एंटी-रैबीज इंजेक्शन अस्पताल में मिल ही नहीं रहे हैं। ऐसे में लोगों को बाजार से महंगे दामों में इंजेक्शन खरीद कर लगवाने पड़ रहे हैं।
कुत्ते काटने की तादाद बढ़ती ही जा रही है
उज्जैन में कुत्ते काटने के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। हर महीने 550 से 700 के बीच लोगों के कुत्ते काट रहे हैं। यानी हर दिन 20 या उससे ज्यादा। इसके बाद नगर निगम आवारा कुत्तों की समस्या से निजात नहीं दिला पा रही है।
नगर निगम में शिकायत करने पर अधिकारी कोर्ट का हवाला दे रहे हैं। उनका कहना है कि हम कुत्तों को नहीं पकड़ सकते हैं। हम नसबंदी करा रहे हैं। जब वे इन कुत्तों को पकड़ने की मुहिम चलाते हैं तो शहर के कुछ सामाजिक संगठन जीव-जंतु सुरक्षा की दुहाई देकर हम पर कार्यवाही की बात करते हैं। कोर्ट से नोटिस दिलाने की बात कहते हैं। ऐसे में हम कार्रवाई कैसे करें? कोर्ट के निर्देश और नगर निगम के बीच शहर और जिले की आम जनता पिस रही है।
प्रतिदिन कुत्ते के काटने की घटनाएं बढ़ रही है। बीते वर्ष में जनवरी से दिसंबर तक 6548 नागरिकों को कुत्तों ने अपना शिकार बनाया। इस वर्ष के दो महीनों में 1130 लोगों को कुत्तों ने काटा है। जनवरी में तो अब तक सबसे अधिक 733 लोगों को कुत्तों ने काटा है। जनता परेशान है और अधिकारी कोर्ट की दुहाई दे रहे हैं और जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं पर आम जनता परेशान हो रही है और कुत्तों का शिकार बन रही है ।