उत्तर प्रदेश के दिल्ली के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों का स्कूल में उपस्थित होना जरूरी होगा। इसके लिए स्कूल शिक्षक बच्चे की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करेंगे। यदि बच्चे की उपस्थिति 75 फीसदी नहीं होगी तो वह परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। इस संबंध में दिल्ली के शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता ने आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि परीक्षा में शामिल होने के लिए ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य है। शिक्षा निदेशक ने आदेश में कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि छात्र स्कूल में मौजूद रहें और सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से लगे रहे हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अनुपस्थिति बच्चे की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। यदि छात्र अनुपस्थित रहता है तो छात्र के परिवार को व्यक्तिगत कॉल करके घर-स्कूल में सकारात्मक संबंध स्थापित करें। इसके लिए एसएमएस, व्हाट्सएप, मेल का इस्तेमाल किया जाए। शिक्षा निदेशक की ओर से दिए गए आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी खास कारण से उपस्थिति दस फीसदी से कम है तो स्कूल प्राचार्य उसके परीक्षा में बैठने पर विचार कर सकते हैं। ऐसे छात्र जिनकी उम्र 14 वर्ष से अधिक है और नौवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ते हैं और बिना सूचना दिए छह दिन तक लगातार अनुपस्थित रहते हैं तो ऐसे छात्रों का नाम काटा जा सकता है। नाम काटे जाने से पहले छात्र के अभिभावकों को इस संबंध में एक नोटिस भेजा जाएगा। वहीं शिक्षकों को कहा गया है कि उन्हें टैब या स्कूल कंप्यूटर सिस्टम में ऑनलाइन उपस्थिति बच्चे का नाम पुकारते हुए लेनी है। प्रत्येक शनिवार को पैरेंटस टीचर मीटिंग (पीटीएम) बुलाई जाए और बच्चे की उपस्थिति का विश्लेषण करते हुए उसके बारे में जानकारी अभिभावकों को दी जाए। खासकर ऐसे बच्चों की जो कि एक सप्ताह में तीन दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहे हों।