उत्तर प्रदेश के आगरा में बच्चे की नाक बहती है, खांसी-जुकाम बार बार होता है। सांस लेने में तकलीफ या सीने से घर्र-घर्र की आवाज आती है तो ये अस्थमा के लक्षण हैं। इसे नजरअंदाज न करें, डॉक्टर को दिखाकर जांच करा लें। आवास विकास कॉलोनी स्थित होटल में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की बच्चों में अस्थमा विषय पर कार्यशाला में डॉक्टरों ने व्याख्यान दिए।
मुख्य वक्ता एम्स दिल्ली के डॉ. कान्हा राम जाट ने कहा कि 10-12 फीसदी बच्चों में अस्थमा मिल रहा है। शुरूआत में लक्षण दिखने पर इलाज से ये मर्ज काफी हद तक ठीक हो सकता है। परिजन अक्सर इन लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं। नई दिल्ली की डॉ. हेमा मित्तल ने कहा कि कई बार बिना चिकित्सकीय परामर्श के घर पर ही बच्चों को नैबुलाइजर देते हैं, इससे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
अध्यक्ष डॉ. अरुण जैन ने कहा कि अस्थमा के लक्षण मौसम बदलने पर तेजी से उभरते हैं। कार्यशाला में डॉ. सुनील अग्रवाल, डॉ. सुमित तनेजा, डॉ. आरएन शर्मा, डॉ. सलिल भारद्वाज, डॉ. स्वाति द्विवेदी, डॉ. संजय सक्सेना, डॉ. रिषु अग्रवाल, डॉ. मीना सिंह आदि मौजूद रहे।