सरकारी और निजी अस्पतालों में हैंड सैनिटाइजर की इक्का-दुक्का बोतलें ही दिख रही हैं और गिने-चुने स्वास्थ्यकर्मी ही मास्क पहने नजर आ रहे हैं। कई अस्पतालों में तो कोविड मरीजों के लिए खास वार्ड तक नहीं बनाए गए हैं। हालांकि कुछ निजी अस्पतालों में कोविड संक्रमण से बचाव के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। लेकिन वैक्सीन लेने और कोविड वायरस के नए वैरिएंट के कमजोर प्रभाव के चलते लोगों में वायरस का डर लगभग खत्म हो गया है। दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भी कोई कोविड वार्ड नहीं है। कोविड के मरीजों के लिए केवल पांच बिस्तर रखे गए हैं। ये सभी बिस्तर अभी भरे हुए हैं। चिकित्सक और एम्स प्रशासन कोविड संक्रमित मरीजों को पास में मौजूद सफदरजंग अस्पताल में बिस्तर का इंतजाम करने को कह रहे हैं। यहां भी बहुत कम संख्या में कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मी मास्क या पीपीई किट पहने देखे जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी असामान्य बात थी, मगर अब महामारी सामान्य बात हो गई है। कोविड की दो-तीन लहर झेलने के बाद लोगों का व्यवहार भी खासा बदल गया है। फिलहाल ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है जो खांसी, सर्दी-जुकाम या बुखार के लक्षणों को अधिक गंभीरता से ले रहे हैं और चिकित्सकों से फौरन मशविरा कर रहे हैं। इस बार मामले बढ़ने के बाद भी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ भले ही नहीं दिख रही है, मगर कुछ चिकित्सकों को कोविड वायरस के लगातार बदलते स्वरूपों की चिंता है। पिछली लहरों में हम कोविड महामारी कितना चलेगी इसका सही आंकलन नहीं कर पाए थे सतर्क रहने की जरूरत हे