उत्तर प्रदेश के कानपुर में प्रदेश के श्रमायुक्त लोकेश एम का दिल गुरुवार को एक बाल श्रमिक पर ऐसा पसीजा की पहले वह उसे अपने घर ले गए। वहां डॉक्टरों से उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराया। इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी को बच्चे का दाखिला कराने के निर्देश दिए। इसके बाद में पिता को बाल श्रम न कराने की हिदायत देकर बच्चे को सौंप दिया। श्रमायुक्त गुरुवार को भ्रमण करते हुए कोकाकोला क्रासिंग से जरीब चौकी की ओर जा रहे थे। इस दौरान ऑटोमोबाइल की दुकान पर एक नाबालिग बच्चे को मजदूरी करते देखा। जांच पर पता चला कि लड़का मेसर्स सुभाष ऑटोमोबाइल के सूरज कुमार अरोड़ा के यहां पर मजदूरी करता है। बच्चे ने बताया कि कभी उसे 40 तो कभी 80 रुपये दिहाड़ी मजदूरी मिलती है। इस पर श्रमायुक्त ने ऑटोमोबाइल दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। श्रमायुक्त के घर पहुंचे बच्चे ने बताया कि मां का निधन हो गया है और पिता मजदूर हैं। घर में एक छोटी बहन है। श्रमायुक्त ने मुख्य चिकित्साधिकारी व रेडियोलॉजिस्ट को बुलाकर उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराया, ताकि उम्र पता चल सके और स्कूल में उसका दाखिला हो सके। श्रमायुक्त ने सभी उप श्रमायुक्त, श्रम प्रवर्तन अफसरों को निर्देश दिए कि कानपुर समेत पूरे प्रदेश में निरीक्षण करके 14 साल से कम आयु के बाल मजदूरों को चिह्नित करके बाल श्रम कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी बच्चों के मानसिक, शारीरिक, आत्मिक, बौद्धिक और सामाजिक हितों को प्रभावित करती है।