हरियाणा के चंडीगढ़ में पीजीआई की आहार विशेषज्ञ डॉ. रचना श्रीवास्तव का कहना है कि लड़कियों को यह मर्ज ज्यादा होता है। उनकी डाइट चार्ट तैयार करने के साथ ही काउंसलिंग की जाती है। ब्लड टेस्ट और अन्य जांच कराकर उसकी रिपोर्ट दिखाकर पोषण तत्वों की कमी और उसके दुष्प्रभाव के बारे में बताया जाता है।फिगर मेंटेन करने के चक्कर में युवा सेहत खराब कर रहे हैं। भूख लगने पर भी खाना नहीं खा रहे हैं। अगर जोर जबरदस्ती से खा भी ले रहे हैं तो मुंह में अंगुली डालकर उल्टी कर रहे हैं। ये स्थिति उनके लिए घातक है। चंडीगढ़ के युवा इस तरह की स्थिति वाले मर्ज के शिकार हो रहे हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार ऐनोरेक्सिया एक मानसिक बीमारी है जो इटिंग डिसऑर्डर से जुड़ी है। इस स्थिति को अगर समय रहते न रोका गया तो मरीज की जान भी जा सकती है।चंडीगढ़ निवासी 19 वर्षीया स्मिता की लंबाई पांच फुट आठ इंच है लेकिन वजन महज 45 किलो है। उसके माता-पिता उसके शरीर को देखकर बेहद दुखी हैं। कारण उसके चेहरे पर हड्डियां दिखना और पेट-पीठ का एक बराबर होना है। समझाने पर भी स्मिता ठीक से खाना नहीं खाती। कभी उनका मन रखने के लिए खा भी ले तो तत्काल जबरदस्ती उल्टी कर देती है। उसके पड़ोस में रह रहे एक मनोचिकित्सक ने उसकी स्थिति देखकर उसके पिता को बताया कि उनकी बेटी ऐनोरेक्सिया नामक बीमारी से ग्रस्त है। समय गंवाए बिना उसका इलाज कराएं। स्मिता का पिछले तीन महीने से पीजीआई में इलाज चल रहा है।पीजीआई मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. राहुल ने बताया कि ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इलाज के दौरान एनोरेक्सिया के मरीजों का ध्यान केंद्रित करते हैं। थेरेपी के माध्यम से उनके व्यवहार में बदलाव लाने का प्रयास किया जाता है। उन्हें ये समझाया जाता है कि उनके लिए भोजन जरूरी है। जिससे मरीजों को भोजन करने की ललक लगे और वह पौष्टिक आहार का सेवन करे। इलाज के दौरान उन्हें कुछ दवाइयां भी दी जाती हैं जिससे मरीज की चिंता व तनाव दूर हो सके। अगर मरीज कुपोषित होता है तो उसकी काउंसलिंग के साथ ही भर्ती कर फिजीशियन की देखरेख में इलाज भी शुरू कराया जाता है। पीजीआई की आहार विशेषज्ञ डॉ. रचना श्रीवास्तव का कहना है कि लड़कियों को यह मर्ज ज्यादा होता है। उनकी डाइट चार्ट तैयार करने के साथ ही काउंसलिंग की जाती है। ब्लड टेस्ट और अन्य जांच कराकर उसकी रिपोर्ट दिखाकर पोषण तत्वों की कमी और उसके दुष्प्रभाव के बारे में बताया जाता है। डॉ. रचना का कहना है कि इस बीमारी में सबसे खराब बात यह है कि लोग इसे मानसिक विकार मानते ही नहीं। केस खराब होने के बाद ही विशेषज्ञ के पास आते हैं। ऐनरोक्सिया से ठीक होने के लिए इटिंग डिसऑर्डर स्पेशलिस्ट, काउंसलर, थैरेपिस्ट, फिजिशियन व आहार विशेषज्ञ की मदद लेने का सुझाव दिया जाता है। इस दौरान मरीज की काउंसलिंग कर उसे वजन बढ़ने के मानसिक डर से उबरने में मदद की जाती है। फिजिशियन बॉडी के आइडियल वेट को प्राप्त करने वहीं न्यूट्रिशनिस्ट संतुलित आहार को प्लान करने में मदद करते हैं।।