उत्तर प्रदेश के बदायूं। नगर पालिका परिषद बदायूूं में डीजल घोटाला क्या सामने आया कि चालक से लेकर कर्मचारी, अधिकारी और पदाधिकारी तक सभी शक के दायरे में आ गए हैं। यह पूरे सिस्टम में खेल चल रहा था। नीचे से लेकर ऊपर तक सबके सामने से बिल गुजरते रहे और पास होते चले गए, लेकिन कभी इस पर सवाल नहीं उठाए गए कि आखिर इतना डीजल कहां खपाया जा रहा है। एक सालों में करोड़ों रुपये का डीजल फूंक रहा है। अब सवाल उठे हैं तो इसकी जांच भी होगी और सच्चाई भी सामने आएगी।नगर पालिका परिषद में डीजल खर्च केवल जनरेटर, कूड़ा ढोने वाले वाहनों और जेसीबी में होता है। इसके अलावा डीजल का खर्चा नहीं है। जिन वाहनों में डीजल प्रयोग होता है उसका चालक नगर पालिका के डीजल इंचार्ज से पर्ची लेकर संबंधित चुने हुए पेट्रोल पंप पर जाता है और पर्ची देकर डीजल डलवाता है। नगर पालिका के डीजल इंचार्ज को पूरा पता रहता है कि कौन से वाहन में कितना डीजल डाला गया या कौन से जनरेटर में कितना डीजल खर्चा हुआ या कितना शेष रह गया है। बाद में पेट्रोल पंप की पर्चियों से डीजल का मिलान होता है। उसका बिल बनता है। फिर ऊपर बैठे जिम्मेदार ईओ और नगर पालिका अध्यक्ष पेट्रोल पंप के नाम चेक पर हस्ताक्षर करके उसका भुगतान करा देते हैं। वैसे हर घर में खर्चा बढ़ता है तो जिम्मेदार खर्चे पर रोक लगाना शुरू कर देते हैं लेकिन यहां ऐसा देखने को नहीं मिला। यहां हर साल डीजल का खर्चा दो गुना या तीन गुना पहुंच गया लेकिन नगर पालिका प्रशासन पर उसका कोई फर्क नहीं पड़ा। इससे पूरे सिस्टम में ही गड़बड़झाला माना जा रहा है। सभी कार्यालयों में नियम के अनुसार मासिक और वार्षिक रिपोर्ट बनती है। यहां भी रिपोर्ट बनाई गई थी, लेकिन ज्यादा खर्चा होने के बावजूद उसे नजर अंदाज कर दिया गया। ऐसा लग रहा है कि मासिक और वार्षिक रिपोर्ट तो बहाना थी। असली मकसद डीजल के बहाने पैसे कमाना था। यह मामला अभी सामने आया है। आज रविवार था। इसलिए कार्यालय बंद था। सोमवार को कार्यालय खुलेगा। तब इस पूरे प्रकरण को देखेंगे। सभी बिल बाउचर चेक कराए जाएंगे। मामले की जांच कराई जाएगी।- दीप कुमार वार्ष्णेय, ईओ नगर पालिका प्रशासन पिछले पांच साल में किस मद में डीजल खर्चा, कितना खर्च, कैसे खर्च हुआ। हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यह मामला सामने आया है तो इसकी जांच कराएंगे पुलिस मामले की जांच कर रही हे