बिहार के पटना में महागठबंधन सरकार के एक साल पूरे होने पर सियासत गरमा गई है। एक ओर राजद और जदयू के नेता सरकार की तारीफ करते नहीं थक रहे वहीं दूसरी ओर भाजपा इसे जंगलराज 2 कह रही है। आइए जानते हैं कि एक साल पूरे होने पर पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने क्या-क्या कहा। राजद कोटे से विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी ने कहा कि बिहार में नई-नई नौकरी का सृजन हो रहा है। फिलहाल बिहार में शिक्षा विभाग की बहाली हो रही है। आगामी लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत होगी। वहीं जदयू विधायक ललित नारायण मंडल ने कहा कि भाजपा के साथ काम करने में बहुत परेशानी थी। इसलिए हमलोगों ने राजद के साथ सरकार बनाई। इतना ही नहीं केंद्र सरकार पैसे देने से इनकार करती है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शानदार काम हुआ है। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने उम्मीद से बेहतर काम किया है। बिहार में 1.75 लाख टीचर की बहाली हो रही है। हमने 20 लाख लोगों को रोजगार की बात कही है, जिसे पूरा करेंगे। हम विभाजित एजेंडों में विश्वास नहीं करते हैं। भाजपा ने कहा कि महागठबंधन सरकार में अपहरण बढ़ा गया है। बिहार में जंगल राज की बात हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझ में आ गया होगा कि उन्होंने क्या किया है। नीतीश कुमार को सियासत से संन्यास लेना चाहिए। भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि महागठबंधन सरकार के एक साल पूरे होने पर कहा की आज से ठीक एक साल पहले नीतीश कुमार बिहारवासियों के जनादेश का अपमान करते हुए सत्ता की लालच में राजद और कांग्रेस की बैसाखी के सहारे सूबे की सत्ता पर काबिज हुए थे। उन्होंने कहा की जिस कांग्रेस के खिलाफ जेपी जी के साथ आंदोलन किया, जिस आंदोलन से नीतीश जी ने राजनीति का ककहरा सीखा, आज उसी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। कभी बिहार से लालू यादव के जंगलराज के खात्मे का प्रण करने वाले नीतीश कुमार आज उन्हीं की पार्टी के साथ खड़े हैं। परिवारवादी और अवसरवादी पार्टियों का मेल किसी राज्य के विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा होता है और आज बिहार उसी दौर में है। आज महागठबंधन सरकार की अंसवेदनशीलता के कारण बिहार में जंगलराज 2.0 अपने चरम पर है। सुबह का हर अखबार हत्या, लूट, डकैती, अपहरण की खबरों से सना मिलता है। रोजगार मांग रहे युवाओं पर और बिजली मांग रही आम जनता पर पुलिसिया लाठी का जोर दिखाया जा रहा है। पहले हस्ताक्षर से 10 लाख सरकारी नौकरी वाले कलम की स्याही सूख गई है। बालू और शराब माफिया अपने पूरे रंग में हैं। शराबबंदी वाले बिहार के छपरा और मोतिहारी में जहरीली शराब से सैकड़ों मौतों का तांडव पूरे देश ने देखा।