बिहार के पटना मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी में बिहार के तीन नामों को शामिल किया है। इसकी घोषणा के साथ ही एक बार फिर कन्हैया कुमार चर्चा में आ गए हैं, क्योंकि पार्टी ने उनपर विश्वास जताया है। यह नाम इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि पार्टी पहले ही प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भूमिहार जाति से अखिलेश प्रसाद सिंह को कुर्सी पर बैठाए हुए है। कांग्रेस ने बिहार में जिन तीन नामों को लाया है, उनमें कन्हैया भूमिहार हैं और इस जाति के प्रभाव वाली बेगूसराय लोकसभा सीट से 2019 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में चले गए थे।लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार और पूर्व मंत्री तारिक अनवर को 39 सदस्यों वाली कांग्रेस वर्किंग कमिटी में रखा गया है। मीरा कुमार स्थायी रूप से कांग्रेसी रही हैं। तारिक अनवर ने एक समय सोनिया गांधी के विदेशी मूल होने की बात पर कांग्रेस छोड़ी थी और लंबे समय के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर गतिरोध के बाद कांग्रेस में वापसी की थी। कन्हैया इस मामले में नए-नए कांग्रेसी हैं। वह जवाहर लाल नेहरु विवि (JNU) की नारेबाजी में चर्चित हुए और फिर सीधे सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय सीट से भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह के सामने चुनाव में उतर गए थे। हार के बाद वह कांग्रेस में गए और इसकी छात्र इकाई की शक्ति का केंद्र बने। कांग्रेस वर्किंग कमिटी के 39 सदस्यों में कन्हैया का नाम नहीं है। उन्हें इंचार्ज की सूची में रखा गया है, जिसमें बिहार प्रभारी भक्त चरण दास भी हैं। इंचार्ज के रूप में वह कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में उपस्थित रहेंगे।महागठबंधन का वर्तमान रूप 2024 के लोकसभा चुनाव तक कायम रहा तो बेगूसराय की सीट पर वामदलों का ही दावा मजबूत रहेगा। वामपंथी पार्टियों ने दो दिन पहले I.N.D.I.A. गठबंधन में अपनी मजबूत दखल का दावा भी किया है। ऐसे में अगर इस सीट पर कन्हैया कुमार को कांग्रेस उतारना चाहेगी तो वामदलों का विरोध झेलना पड़ेगा। इस मामले में वाम दलों के खिलाफ एक ही बात जाती है कि सीपीआई के टिकट पर यहां से उतरे कन्हैया को भाजपा के गिरिराज सिंह के मुकाबले अपेक्षित वोट नहीं मिले थे। गिरिराज सिंह को 2019 के लोकसभा चुनाव में 6,92,193 वोट मिले थे, जबकि कन्हैया कुमार को 2,69,976 वोटों से संतोष करना पड़ा था। इस चुनाव में कुल 10 प्रत्याशी अंतिम तौर पर मैदान में थे, जिनमें से आठ की जमानत जब्त हो गई थी। मतलब, वोटों का बंटवारा भी बड़ा मुद्दा नहीं कहा जा सकता है। सारे वोट इन्हीं दोनों में आमतौर पर बंटे, फिर भी कन्हैया को करीब सवा चार लाख वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में कन्हैया की दावेदारी पर यहां कांग्रेस और वामदलों के बीच टकराव तय है।