मिर्जापुर गांव निवासी 80 साल के विशुनदेव मंडल बुजुर्ग होने से बीमार चल रहे थे और घर में उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान ही उनका निधन हो गया। परिजनों ने उनके शव को घर के आंगन में लाकर रखा। उसके बाद मृतक विशुनदेव मंडल के शव के पास उसकी 70 साल की पत्नी चंदा देवी भी ने विलाप करते-करते अपने प्राण त्याग दिए। उसके बाद बहू और बेटे ने अपने माता-पिता की एक साथ शव यात्रा निकाली और एक साथ अंतिम संस्कार किया। जिसने भी इस दृश्य को देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।शादी में साथ जीने-मरने की कसम खाने वाले तो कदम-कदम पर नजर आते हैं। लेकिन इन कसमों को निभाने वाले विरले ही होते हैं। शादी के मंडप पर जन्म-जन्म का साथ निभाने की शपथ को निभाने वाली ऐसी ही एक जोड़ी भागलपुर के नाथनगर स्थित मिर्जापुर गांव के निवासी विशुनदेव मंडल और चंदा देवी की है। इस जोड़ी ने साथ जीने-मरने की कहानी को सच साबित कर दिया। पति विशुनदेव की मौत के कुछ ही घंटे के अंदर पत्नी चंदा देवी की भी मौत हो गई। मौत के बाद दोनों की शवयात्रा भी साथ-साथ निकाली गई और एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।