उत्तर प्रदेश के औरैया ज़िले के डाक्टरों का मानना हे दौड़कर जाने आपकी बॉडी मे ऑक्सीज़न लैवल कितना हे जिले के सभी एल-वन और एल-टू अस्पतालों में मॉकड्रिल का आयोजन हुआ। इसमें उपचार के दौरान होने वाली बारीकियों को परखा गया। विशेष तौर पर ऑक्सीजन के प्रेशर और शुद्धता पर जोर दिया गया। वेंटिलेटर ऑपरेट करने में नए प्रशिक्षुओं को समस्या आने पर दोबारा प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए गए। कोरोना महामारी की पहली दो लहरों में ऑक्सीजन की कमी से जिले के कुल 200 लोग काल के गाल में समा गए थे। इसे लेकर शासन की ओर से दोनों जिला अस्पताल व सीएचसी दिबियापुर में ऑक्सीजन प्लांट लगवाए गए थे। मौजूदा समय में जिले में तीन संक्रमित मरीज मिलने से खतरा बढ़ गया है। इसी के तहत स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को मॉकड्रिल कर अपनी व्यवस्थाओं की हकीकत परखी। कोरोना के मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इस पर अलर्ट हुए एंबुलेंस कर्मियों ने तुरंत मरीज को 100 शैया युक्त जिला अस्पताल पहुंचाया। वहां तैयार टीम ने उसे एक मिनट में वार्ड तक पहुंचाया गया। इसके बाद वार्ड में मौजूद कर्मचारियों ने वेंटिलेटर की सुविधा देना शुरू किया। इस दौरान कुछ प्रशिक्षुओं को वेंटिलेटर ऑपरेट करने में समस्या हुई। कोरोना महामारी से लड़ने में ब्रह्मास्त्र का काम करने वाली वैक्सीन जिले में 10 फरवरी से नहीं है। इससे लोगों को महामारी से लड़ने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक 12 से 14 साल के 5,702 बच्चों, 15 से 18 साल के 90,506 और 18 साल से अधिक उम्र वाले 10,10,372 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। जिले की कुल आबादी 17 लाख के लगभग है। शासन की ओर से 12 साल से कम आयु के बच्चों के लिए टीकाकरण का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। वहीं, अभी 12 साल से अधिक उम्र के बहुत से लोग भी टीके से प्रतिरक्षित नहीं हैं। मरीज की हालत गंभीर है, दौड़कर जांच करें कि कहीं ऑक्सीजन का प्रेशर कम तो नहीं। इतना सुनते ही संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य के आसपास खड़े कर्मचारी बगले झांकने लगे। उन्हें समझ ही नहीं आया कि वह कैसे ऑक्सीजन का प्रेशर चेक करें।