उत्तर प्रदेश के औरैया सदर ब्लॉक की ग्राम पंचायत जैतापुर में सीएफएलडी अरहर प्रजाति का बीज 25 एकड़ के लिए करीब 20 किसानों को वितरण किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र ग्वारी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राम पलट व डॉ. आईपी सिंह के द्वारा किसानों दलहनी फसलों के बारे में जानकारी दी गई। वरिष्ठ वैज्ञानिक आईपी सिंह ने कहा कि अरहर में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया ज्यादा है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। दलहनी फसलें खाद्यान्न फसलों की अपेक्षा अधिक सूखारोधी होती हैं। इसलिये सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में भी अधिक उपज मिलती है। खरीफ की दलहनी फसलों में अरहर प्रमुख है। उन्नत तकनीक से इसका उत्पादन दो गुना किया जा सकता है। इसके लिए किसानों को मेड़ पर बोआई करनी चाहिए। अरहर के लिए भूमि बलुई, दोमट या दोमट तथा पीएच मान 7-8 के बीच हो। वर्षा प्रारंभ होने के साथ खेती शुरू का देनी चाहिए। देर से पकने वाली प्रजातियों का बीज 15 किलो ग्राम प्रति हेक्टेअर की दर से बोना चाहिए। इसके साथ तिल, बाजरा, ऊर्द एवं मूंग की भी फसलें हैं।