उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पुलिस कस्टडी रिमांड में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की अशरफ की हत्या कोई पहली वारदात नहीं है। इससे पहले भी पुलिस के सामने कई हत्याएं हो चुकी हैं। वर्ष 2001 में दहशतगर्द विकास दुबे ने शिवली थाने में घुसकर बीजेपी सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने वारदात के पीछे गैंग वॉर बताई थी। मामले में डी 34 गैंग का सरगना परेवज, बहार खान व गुलाम को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने परवेज को एनकाउंटर में मार गिराया था। गुलाम की मौत गैंगवॉर में हो गई थी। 2019 में बहार खान को उम्र कैद की सजा दे दी गई थी। इसी तरह 26 अक्तूबर 2021 को चौबेपुर के पनऊपुरवा में चुनावी रंजिश में पुलिस की मौजूदगी में किसान आनंद कुमार कुरील की हत्या की गई थी। दो दरोगा समेत 20 पर एफआईआर दर्ज हुई थी। वारदात में एके 47 का प्रयोग किया गया था। मामले में डीटू गैंग का सरगना रफीक वांटेड था। करीब नौ माह बाद पुलिस ने रफीक को कोलकाता से दबोच लिया था। इसके बाद उसे रिमांड पर शहर लाया गया था। यहां कोर्ट के आदेश पर उसे एके 47 की बरामदगी के लिए जूही यार्ड के पास ले जाया गया, यहां पर रफीक पर पुलिस अभिरक्षा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी पुलिस मामले की जांच कर रही हे