उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले मे दादों थाना क्षेत्र के गांव भाय में शुक्रवार को बेरोजगार युवक ने पेड़ से फंदा लटककर आत्महत्या कर ली। शनिवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ।
गौतमबुद्ध नगर जनपद के भाय दादों गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ 25 वर्षीय युवक नीरज उर्फ नीरा ने आत्महत्या कर ली। यह घटना केवल एक व्यक्ति की मौत भर नहीं है, बल्कि हमारे समाज में बढ़ती बेरोजगारी, मानसिक तनाव और नशे की गिरफ्त में आते युवाओं की स्थिति पर गंभीर प्रश्नचिन्ह भी है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया है, जबकि मामले की विस्तृत जांच अभी भी जारी है।
नीरज की पारिवारिक पृष्ठभूमि
नीरज, जोकि अपने पांच भाइयों में चौथे नंबर पर था, कई सालों से बेरोजगारी की मार झेल रहा था। उसके पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी, जिससे परिवार पर आर्थिक दबाव और बढ़ गया था। नीरज की मां और भाई किसी तरह से घर का खर्च चला रहे थे, लेकिन नीरज की बेरोजगारी और शराब की लत ने परिवार की स्थिति को और भी जटिल बना दिया था। नीरज अक्सर शराब पीने के लिए पैसे मांगता था, और जब उसे पैसे नहीं मिलते, तो वह मानसिक तनाव में चला जाता था।
शराब की लत और मानसिक अस्थिरता
परिजनों के अनुसार, नीरज पिछले कुछ सालों से शराब का आदी हो चुका था। बेरोजगारी और सामाजिक उपेक्षा ने उसे अंदर से तोड़ दिया था। आए दिन वह नशे की हालत में घर आता, झगड़े करता और खुद को नुकसान पहुँचाने की धमकी देता था। परिवार ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन जब आर्थिक मदद मिलनी बंद हुई, तो उसका मानसिक संतुलन और बिगड़ गया।
पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट
घटना की सूचना मिलते ही दादों थाने के इंस्पेक्टर प्रमोद मलिक पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। प्राथमिक जांच में कोई बाहरी हिंसा या झगड़े का संकेत नहीं मिला। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जहाँ रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि नीरज ने आत्महत्या की है। पुलिस का कहना है कि वह इस मामले में सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच कर रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आत्महत्या के पीछे कोई पारिवारिक दबाव, बाहरी उकसावे या अन्य कारण तो नहीं था।
समाज के लिए चेतावनी
यह घटना सिर्फ एक युवक की आत्महत्या की नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के उस हिस्से की कहानी है जो बेरोजगारी, नशे की गिरफ्त और टूटते परिवारों की मार झेल रहा है। नीरज की मौत उन हजारों युवाओं का प्रतिनिधित्व करती है, जो रोज़गार की तलाश में दर-दर भटकते हैं, और अंततः मानसिक अवसाद में घिरकर ऐसा कठोर कदम उठा लेते हैं।
निष्कर्ष
सरकार और समाज दोनों को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। बेरोजगारी दूर करने की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित न रहें, नशा मुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना ज़रूरी है। परिवारों को चाहिए कि वे ऐसे युवाओं को उपेक्षित न करें, बल्कि परामर्श, सहयोग और समझदारी से उन्हें वापस जीवन की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करें।
नीरज की कहानी एक चेतावनी है — अगर समय रहते हम नहीं जागे, तो न जाने और कितने ‘नीरज’ इस अंधेरे में खोते रहेंगे।

































