उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में नगर निगम के चुनाव परिणाम पर अगर गौर करें तो 90 में से 88 वार्ड में भाजपा ने प्रत्याशी उतारे। जिनमें से 18 मुस्लिम थे। इनमें से 40 पर भाजपा बहुमत के साथ जीती है और 5 पर निर्विरोध निर्वाचित हुई है। शेष 43 में भाजपा बेशक हारी है। मगर वहां वोट मिलने में भाजपा के मेयर पद के लिए कोई कोताही नहीं हुई। निकाय चुनाव के परिणाम आ गए हैं। नगर निगम में पांच वर्ष के ब्रेक के बाद फिर भाजपा ने कब्जा कर लिया है। खास बात है कि इस बार नगर निगम के सदन में बहुमत से पार्टी के पार्षदों का कब्जा हुआ है। पिछले चुनाव में बेहद कमजोर रही भाजपा के तीन तथ्य खेवनहार बने हैं। पहला सीमा विस्तार, दूसरा मुस्लिम प्यार और तीसरा ध्रुवीकरण है। यही वजह है कि बेशक 43 वार्ड में भाजपा हारी है, मगर पार्षदों संग मेयर के लिए 26510 से अधिक मत मिले हैं। इनमें वे 18 वार्ड भी शामिल हैं, जिनमें भाजपा ने अपने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे। नगर निगम के चुनाव परिणाम पर अगर गौर करें तो 90 में से 88 वार्ड में भाजपा ने प्रत्याशी उतारे। जिनमें से 18 मुस्लिम थे। इनमें से 40 पर भाजपा बहुमत के साथ जीती है और 5 पर निर्विरोध निर्वाचित हुई है। शेष 43 में भाजपा बेशक हारी है। मगर वहां वोट मिलने में भाजपा के मेयर पद के लिए कोई कोताही नहीं हुई। अगर परिणाम की गंभीरता और वोटों के ध्रुवीकरण पर गौर करें तो सपा से मेयर प्रत्याशी को 132987 मत मिले हैं, जबकि बसपा मेयर प्रत्याशी को 49764 मिले हैं। इनमें भाजपा पार्षदों को हारे हुए वार्डों में 26510 मत मिले हैं। मेयर और पार्षद दोनों पदों को मत एक साथ दिया जाता है। इन मतों को जोड़ें तो यह आंकड़ा 209261 पहुंचता है। जो मेयर पद पर भाजपा को मिले मतों से अधिक है। इसमें एमआईएम को मिले मतों को जोड़ दें तो 216973 मत होते हैं। अगर यह मत भाजपा के विरोध में होते तो शायद भाजपा का जीतना कितना मुश्किल होता। ये खुद आंकड़े गवाही दे रहे हैं। मगर ऐसा नहीं हुआ और भाजपा का सीमा विस्तार का एक वर्ष पुराना प्लान, मुस्लिम वार्ड में प्रत्याशी उतारने का प्लान और अंत में मुख्यमंत्री की सभा के बाद ध्रुवीकरण कारगर साबित हुआ। धु्रवीकरण की वजह है कि बसपा नगर निगम क्षेत्र में अपना आधार नहीं बचा पाई और उसका बेस वोट तक भाजपा के खाते में गया है। इसके अलावा ध्रुवीकरण के दम पर अन्य सभी जातियों का वोट भी भाजपा के खाते में गया है। परिणाम सामने आने के बाद बसपा व सपा खेमे में अपने खिसकते आधार को लेकर चिंतन शुरू हो गया है। बसपा जहां अपने मूल जनाधार वाले वोट को न पा पाने के कारण चिंतन कर रही है। वहीं सपा आजाद समाज पार्टी के समर्थन के बाद भी और लक्ष्मी धनगर को बघेलों के प्रभाव के लिए जिलाध्यक्ष बनाने के बाद भी वोट न पाने पर चिंतन कर रही है।शहर के सीमा विस्तार वाले इलाके पर गौर करें तो नगर पटवारी, भगवानढ़ी, धौर्रा वार्ड को सपा, सिंधौली वार्ड को बसपा जीती है। वहीं कोल विधानसभा के सराय हरनारायण, बढ़ौली फतेह खां, असदपुर कयाम, क्वार्सी वार्ड को भाजपा जीती है जिन 43 वार्ड को भाजपा हारी है। उनके परिणाम पर अगर गौर करें तो भाजपा अनुसूचित मोर्चा के जिला पदाधिकारी राकेश सहाय यहां बसपा से हारे और मात्र 862 मत पाए। सराय लवरिया में भाजपा नेता विशाल हारे और निर्दल के सामने मात्र 1825 मत पाए। भाजपा महानगर मंत्री संजू बजाज नगला मसानी वार्ड से बसपा से हारे और 2368 मत पाए। रिसाल सिंह नगर वार्ड से निवर्तमान पार्षद सुरेंद्र पचौरी निर्दल से हारे और 1095 मत पाए। मुस्लिम आबादी इलाकों में वोट मिलने की बात करें तो नगला पटवारी में 185, तेलीपाड़ा में 47, जीवनगढ़ में 30, बनियापाड़ा में 901, सुपर कालोनी में 51, बादाम नगर में 267, भुजपुरा में 125, रोरावर में 34, हमदर्द नगर में 88, कबीर कालोनी में 91, मेडिकल कालोनी में 334, नगला जमालपुर में 100, टनटनपाड़ा में 456, धौर्रा में 617, उस्मानपाड़ा में 233, एडीए शाहजमाल में 159, मोलाना आजाद नगर में 188, फिरदौस नगर में 1494, जाकिर नगर में 88, जमालपुर में 460, जोहराबाग में 260, दोदपुर में 349, माबूद नगर में 489, नगला आशिक अली में 118, बदरबाग में 204, भमोला में 623, मकदूम नगर में 247, रसलगंज में 1660, महफूज नगर में 1140, नौनेर गेट में 1761 मत भाजपा के हक में आए हैं।