उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ महानगर के श्रीखेरेश्वर धाम मंदिर की देखरेख एवं संचालन का जिम्मा अब ग्राम पंचायत संभालेगी। ग्राम प्रधान की दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। इसकी मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने भी पुष्टि की है। अलीगढ़-दिल्ली हाईवे पर लोधा चौराहे के पास स्थित श्री खेरेश्वर धाम मंदिर जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसकी प्रबंध समिति में मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों को संचालित करने को लेकर दो फाड़ हो गए थे। इसके चलते बीते साल मंदिर में परंपरागत सावन मेला नहीं लग सका था। एक खेमे से ग्राम प्रधान ने मंदिर का संचालन ग्राम पंचायत के जिम्मे करने की मांग रखी। उन्होंने इसके समर्थन में कहा कि जहां भी ग्राम पंचायतों में मंदिर या धार्मिक स्थल बने हुए हैं, वहां उनकी देखरेख का जिम्मा संबंधित ग्राम पंचायतों के पास है। इसलिए मंदिर संचालन का जिम्मा ग्राम पंचायत को मिलना चाहिए। मंदिर समिति के खिलाफ शासन स्तर पर अनियमितताओं की शिकायत की गई। आरोप था कि खेरेश्वर धाम मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने मंदिर की जमीन का नियमों के खिलाफ बंटरबांट कर लिया है, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग में अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा भी ले लिया है। आरोप था कि समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में विभिन्न नामों से रसीद छपवाकर अवैध रूप से चंदे की उगाही कर रही है। शासन ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन को जांच व कार्रवाई के निर्देश दिए थे। प्रशासन स्तर से इसकी जांच कराई गई, जिसमें गड़बड़ियां पाई गई थीं। मंदिर में रिसीवर नियुक्त करने के साथ ही फर्जी तरीके से लिए गए जमीन के मुआवजे और पट्टों को वापस करने के निर्देश दिए गए। इसी प्रकरण में ग्राम प्रधान ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। जिस पर हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई की। साक्ष्य एवं बयानों के आधार पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने ग्राम पंचायत के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है। मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष देवेंद्र सिंह चौहान ने हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इससे मंदिर में एकाधिकार समाप्त होगा और बेहतर विकास एवं संचालन हो सकेगा। समिति ग्राम पंचायत के कार्यों में सहयोगी करेगी।