उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सपा के पूर्व विधायक जमीरउल्लाह ने पहली बार सड़कों पर नमाज न पढ़े जाने पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि उनके जीवन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब वे बकरीद के मौके पर ईदगाह नहीं गए और लोगों से गले नहीं मिल सके। उन्होंने कहा कि हालांकि ये कोई कानून नहीं, मगर सरकार का आदेश था, इसलिए उन्होंने माना। विरोध स्वरूप अपने मोहल्ले की मस्जिद में नमाज पढ़ी। वे कहते हैं कि साल में तीन बार मुस्लिम भाई अपने बुजुर्गों की कब्रों पर फातिहा पढ़ने जाते हैं। दो बार ईद उल फितर व ईद उल अजहा पर और एक बार शब ए बरात पर। ईदगाह कब्रिस्तान के बराबर में है। इसलिए वहां ज्यादा संख्या में लोग जाते हैं। मगर पहली बार देखने को मिला कि ईदगाह को चारों ओर से संगीनों और पुलिस वाहनों से घेर लिया गया। वहां ऐसे सड़क पर नमाज न पढऩे की पाबंदी कर दी गई कि जैसे कोई हाईवे है। अरे पांच से दस मिनट में नमाज पढ़ ली जाती है। जब किसी राजनीतिक रैली की अनुमति दी जाती है और उसके आसपास के मार्गों पर यातायात प्रतिबंधित किया जाता है तो नमाज के लिए क्यों यातायात प्रतिबंध नहीं हो सकता। ईदगाह के आसपास सभी धर्मों के ठेल-ढकेल वालों का रोजगार प्रभावित हुआ और उन गरीबों को अनाज नहीं दे सके, जो मांग कर जीवन यापन करते हैं। एक वो भाजपा थी, जब खुद मुख्यमंत्री रहते राजनाथ सिंह ईद के मौकों पर ईदगाह पहुंचते थे। आज ये भाजपा है।विरोध न कर सके पर चेहरे पर झलक रहे थे भाव ईदगाह के बाहर नमाज न पढऩे पर बहुत से ऐसे लोग भी दिखे जो विरोध तो नहीं कर पा रहे थे, मगर उनके चेहरे पर विरोध के भाव झलक रहे थे। इनमें बहुत से ऐसे भी लोग थे, जो रोकटोक को देखकर वापस लौट गए और अपने मोहल्ले की मस्जिद में नमाज पढ़ी। कुछ लोग ऐसे भी थे जो दबी जुबां से इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए चले जा रहे थे। कुछ चुपचाप ही रहे। जब शाहजमाल की नई ईदगाह नमाजियों से भरने लगी और अंदर जगह नहीं थी तो पहले से तय योजना के तहत ईदगाह कमेटी के वालंटियर व उनके साथ लगे पुलिसकर्मी गेट पर नामजियों को समझाने लगे। सभी को इशारा कर पुरानी ईदगाह में जाने के लिए कहा गया और लोग वहां से चुपचाप पुरानी ईदगाह में चले गए। दूसरी शिफ्ट में पुरानी ईदगाह में नमाज हुई। वे लोग उसमें शामिल हुए। इस दौरान कुछ लोगों ने गेट के बाहर बैठने की कोशिश की। मगर उन्हें पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाकर हटाया और कहा कि आप लोग पुरानी ईदगाह में चले जाएं। इस पर उनके साथ ईदगाह कमेटी के लोग भी उन्हें समझाने लगे। इस पर सभी लोग उठ गए और दूसरी ईदगाह में चले गए। नामाजियों के सड़क पर बैठने की पहले से मनाही थी। फिर भी लोग कहीं बैठ न जाएं, इस अंदेशे को ध्यान में रखते हुए चरखवालान चौराहे से लेकर शाहजमाल ईदगाह व उसके चारों ओर के रास्तों पर पुलिस ने वाहन व बैरीकेडिंग लगा रखे थे, ताकि लोग न बैठ सकें। जो आ रहे थे, उन्हें समझाकर भेजा जा रहा था। ईद उल अजहा के मौके पर खान पान की दुकानों व रामघाट रोड मॉल पर सुबह से ही भीड़ होने लगी और देर शाम तक यही आलम रहा। युवाओं व बच्चों ने जमकर उत्साह के साथ त्योहार मनाया।