उत्तर प्रदेश के आगरा में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, आईजीआरएस पोर्टल, तहसील व कलेक्ट्रेट व अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों का फर्जी निस्तारण हो रहा है। नतीजा आगरा की प्रदेश में 75 जिलों में 70वीं रैंक आई है। ये पोल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की समीक्षा में खुली है। उन्होंने डीएम आगरा को एक माह में स्थिति सुधारने के आदेश दिए हैं।अगस्त माह में विभिन्न माध्यमों से करीब 7515 शिकायतें आईं थी। इनमें 2784 में फीडबैक लिया तो 2119 फरियादी शिकायतों के फीडबैक से ही असंतुष्ट मिले। सबसे ज्यादा शिकायत राजस्व विभाग और पुलिस से संबंधित थीं। 458 शिकायतों का तय समय में समाधान नहीं हो सका। इसके कारण 458 संदर्भ डिफॉल्टर हो गए। इनके अलावा 1577 शिकायतों को अधिकारियों के अपने विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए खत्म कर दिया।यही वजह रही कि सूबे के सबसे पांच फिसड्डी जिलों में आगरा भी शामिल है। जनसुनवाई व शिकायतों के निस्तारण के आधार पर जिलाधिकारी कार्यालय को मुख्यमंत्री कार्यालय से 130 मेें 122 अंक मिले हैं। 75 जिलों में 70वीं रैंक आई है। 16 शिकायतें ऐसीं थीं जो मुख्यमंत्री कार्यालय से दर्ज होने के बाद निस्तारण के लिए डीएम कार्यालय आई। इनमें दो मामलों का निस्तारण नहीं हो सका। ये स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री हर माह समीक्षा में जनसुनवाई में लापरवाही पर अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं। जिले में किसी भी लापरवाह अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई है।सबसे फिसड्डी रहा था आगरा फरवरी 2022 में आगरा प्रदेश में सबसे फिसड्डी रह चुका है। तब 75 जिलों की समीक्षा में डीए आगरा कार्यालय की 75वीं रैंक आई थी। जुलाई 2023 में आगरा को प्रदेश में 60वां स्थान मिला था। एक बार में शिकायतों का सही निस्तारण नहीं होने के कारण फरियादियों को बार-बार कलेक्ट्रेट, तहसील व अन्य विभागों के चक्कर काटने पड़ते हैं
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