उत्तर प्रदेश के आगरा नहर से पानी लिफ्ट करने पर 150 से अधिक किसानों पर सिंचाई विभाग केस दर्ज करा चुका है। वहीं दूसरी तरफ, दयालबाग में यमुना से आठ आने के स्टांप पर राधास्वामी सत्संग सभा 88 साल से पानी खींच रही है। इससे सत्संगी 600 एकड़ खेतों की सिंचाई करते हैं, जबकि किसानों के खेत सिंचाई के लिए तरस रहे हैं। ब्रिटिशकाल में सिंचाई विभाग लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की एक शाखा था। अब पीडब्ल्यूडी व सिंचाई दोनों अलग-अलग हैं। 1935 में पीडब्ल्यूडी की सिंचाई शाखा से
राधास्वामी सत्संग सभा ने पंप लगाकर यमुना से 5 क्यूसेक पानी लिफ्ट करने का अनुबंध किया था। इसके लिए सत्संगियों ने इंटेक वेल बनाया। अपने खेतों के लिए नहर बनाई। जिन नियम व शर्तों के तहत अनुबंध हुआ था 88 साल में कभी सिंचाई विभाग ने उन नियम व शर्तों का सत्यापन नहीं किया। सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से परेशान किसानों ने सत्संग सभा के इस अनुबंध को निरस्त करने का प्रार्थनापत्र जिलाधिकारी को भेजा है। कहा है कि अंग्रेजों के बनाए जब सभी कानून खत्म किए जा रहे हैं तो फिर इस अनुबंध की समीक्षा क्यों नहीं की जा रही है। राधास्वामी सत्संग सभा के अनुबंध में दर्ज है कि अप्रैल, मई व जून के महीने में यमुना से पानी लिफ्ट नहीं किया जाएगा। खासपुर के प्रधान भरत सिंह का कहना है कि सत्संग सभा 12 महीने अंधाधुंध यमुना जल का दोहन कर रही है। उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं।म सिविल सोसाइटी के सदस्य राजीव सक्सेना का कहना है कि ब्रिटिशकाल में जब अनुबंध हुआ था तब यमुना लबालब थी। ओखला, गोकुल बैराज नहीं थे। अब यमुना को सिर्फ 1100 क्यूसेक पानी आगरा के लिए मिलता है। नदी सूखी रहती है। पर्याप्त पानी नहीं मिलने से बुलंदशहर से गंगाजल पाइपलाइन बिछानी पड़ी। ऐसे में सत्संग सभा के अनुबंध की समीक्षा होनी चाहिए। राधास्वामी सत्संग सभा ने 1935 में एक अनुबंध किया था। यमुना से 5 क्यूसेक पानी लिफ्ट करने की अनुमति मिली थी। इसके लिए सत्संगियों ने इंटेक वेल बनाया। अपने खेतों के लिए नहर बनाई। जिन नियम व शर्तों के तहत अनुबंध हुआ था, सिंचाई विभाग ने उन नियम व शर्तों का सत्यापन नहीं किया।